जैन धर्म का सामान्य बोध विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

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जैन धर्म का सामान्य बोध विषय पर संगोष्ठी का आयोजन

उत्तर हावड़ा।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में तथा तेममं के तत्त्वावधान में जैन धर्म का सामान्य बोध विषय पर तेरापंथ भवन में उद्बोधन हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि आत्म साधना के चार सूत्र हैं-सम्यग् ज्ञान, सम्यग् दर्शन-सम्यग् चारित्र, सम्यग् तप। जो श्रावक हैं, उसको कम से कम 9 तत्त्व 6 काया का ज्ञान होना जरूरी है। इनके ज्ञान से आत्मा का उत्कर्ष होता है। भगवान महावीर के सिद्धांतों में हमारा विश्वास है इसीलिए हम जैन हैं।
जैन धर्म के सिद्धांतों के प्रति आस्था रखनी चाहिए। देव, गुरु, धर्म के महत्त्व को समझना व श्रद्धा उसमें रखनी चाहिए। गुरु के बिना ज्ञान कौन देगा। गुरु ही समस्या का समाधान कर सकते हैं। प्राण चले जाएँ, लेकिन प्रण नहीं जानी चाहिए। आपकी आस्था मजबूत है। श्रद्धा में जान है तो भगवान आपसे दूर नहीं है। ज्ञान, दर्शन के साथ चारित्र की भी आराधना करनी चाहिए। आगार धर्म अणगार धर्म की साधना करनी चाहिए। मुनिश्री ने जिज्ञासाओं का समाधान भी दिया। मुनि परमानंद जी ने कहा कि जैन धर्म में तीन रत्न बताए हैं। उसमें एक रत्न है-चारित्र। जैन धर्म आचार प्रधान धर्म है। आचार की छोटी-छोटी बातों को जानना चाहिए। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल की बहनों के गीत से हुआ। संचालन तेरापंथ महिला मंडल की कार्यकारी अध्यक्षा अल्का सुराणा ने किया।