अर्थ का अर्जन शुद्ध साधन से होना चाहिए
दिल्ली।
अर्थ का अर्जन शुद्ध साधन से होना चाहिए। अर्जित धन का उपयोग भी सम्यक् रूप से त्याग की भावना के साथ होना चाहिए। ये विचार शासनश्री साध्वी संघमित्रा जी ने अणुव्रत भवन में आयोजित ‘पारिवारिक व्यापार की विरासत’ विषय पर विशेष कार्यक्रम से पूर्व आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। शासनश्री साध्वी शीलप्रभा जी ने भी भारतीय संस्कृति में अर्थ के मर्यादित अर्जन और उपयोग की सार्थकता पर प्रकाश डाला। तेरापंथ सभा, दिल्ली के अध्यक्ष सुखराज सेठिया ने स्वागत वक्तव्य दिया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता विशेषज्ञ राकेश शर्मा ने विस्तार से उत्तराधिकार के बारे में बताते हुए संस्कार निरूपण को उत्तराधिकार में देने की बात कही। संचालन अंतर्राष्ट्रीय कवि राजेश चेतन ने किया। कार्यक्रम के संयोजक लक्ष्मीपत बोथरा, दीपक जैन व सुशील राखेचा थे।
आभार ज्ञापन अग्रवाल मित्र परिषद् के अध्यक्ष संजय जैन ने किया। तेरापंथी सभा, दिल्ली अग्रवाल मित्र परिषद् तथा अखिल भारतीय अणुव्रत न्यास के संयुक्त तत्त्वावधान में आयोजित इस विचार सम्मेलन में समाजभूषण मांगीलाल सेठिया, दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष नत्थूराम जैन, महामंत्री प्रमोद घोड़ावत, शांतिकुमार जैन, बजरंग बोथरा सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।