पंच दिवसीय दक्षिणांचल संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन

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पंच दिवसीय दक्षिणांचल संस्कार निर्माण शिविर का आयोजन

बैंगलोर।
जैसा वातावरण और संगत होती है वैसे ही संस्कारों का निर्माण होता है। यह विचार मुनि हिमांशु कुमार जी ने तुलसी महाप्रज्ञ सेवा केंद्र कुम्बलगुड में आयोजित शिविर के शुभारंभ समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनिश्री ने शिविरार्थियों से अनुशासन के पालन, समयबद्धता और आपसी सहयोग से शिविर को सफल बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संस्कारी पीढ़ी ही हमारे शुभ भविष्य का निर्माण करने में समर्थ है। मुनि दीप कुमार जी ने कहा कि संस्कार हमारे जीवन की नींव हैं। सद्संस्कार श्रेष्ठ जीवन का महत्त्वपूर्ण घटक है। मुनिश्री ने संस्कारी जीवन के लिए तीन ‘वी’ की चर्चा करते हुए विनय, विवेक और विद्या को आवश्यक बताया।
इससे पूर्व मुनि काव्य कुमार जी ने कहा कि दृष्टि श्रेष्ठ है तो सृष्टि भी श्रेष्ठ है। हमारी दृष्टि सद्गुण केंद्रित हो जिससे हम श्रेष्ठता को प्राप्त कर सकें। मुनि हेमंत कुमार जी ने अपने संयोजकीय वक्तव्य में कहा कि वर्तमान युग में संस्कारों के प्रति उत्साह होना एक आश्चर्य है। जिसे दुनिया को आठवाँ आश्चर्य भी कहा जा सकता है। तेरापंथी सभा, बैंगलुरु के अध्यक्ष कमल सिंह दुगड़ ने कहा कि यह शिविर आपके जीवन में विकास का मार्ग प्रशस्त करे। साथ ही उन्होंने आयोजन में सहयोगी संस्थाओं के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित की। तेरापंथी महासभा के आंचलिक प्रभारी प्रकाश लोढ़ा अपना वक्तव्य दिया। शिविर के आयोजन में मुनिश्री की मेहनत, परिश्रम के साथ कार्यकर्ताओं का पुरुषार्थ लगा एवं सहयोग प्राप्त हुआ। बालक हिमांशु सहलोत ने मंगलाचरण किया।