अणुव्रत गिरते नैतिक स्तर को ऊँचा उठाने का प्रकल्प
चंडीगढ़।
अणुव्रत आंदोलन के प्रवर्तक आचार्य तुलसी थे। एक आंदोलन जिसका उद्देश्य जीवन में नैतिकता लाकर सत्य और अहिंसा के द्वारा विश्व शांति के लिए वातावरण का निर्माण करना था। अणुव्रत गिरते नैतिक स्तर को ऊँचा उठाने का प्रकल्प है। जिस प्रकार अणु का एक कण पूरे ब्रह्मांड में विस्फोट कर सकता है, वैसे ही अणुव्रत के छोटे-छोटे नियम हर समस्या को सुलझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अणुव्रत के तीन कार्य हैं-पहला व्यक्ति को चरित्रवान बनाना, दूसरा व्यवहार की शुद्धि करना तथा तीसरा धर्म समन्वय करना है। अणुव्रत का उद्देश्य मानव को मानव बनाना है। ये शब्द मनीषी संत मुनि विनय कुमार जी ‘आलोक’ ने अणुव्रत अमृत महोत्सव के अवसर पर अणुव्रत समिति, चंडीगढ़ द्वारा आयोजित संयम दिवस पर कहे।
मनीषी संत ने आगे कहा कि स्वतंत्र भारत के महान समाज सुधारक आचार्यश्री तुलसी ने इंसानी कौम की बेहतरी के लिए अणुव्रत को छोटे-छोटे 11 नियमों में ढालकर अणुव्रत आंदोलन का आगाज करते हुए शंखनाद किया। आचार्यश्री तुलसी ने असांप्रदायिक धर्म का आंदोलन चलाया, जो जाति, वर्ण, वर्ग, भाषा, प्रांत एवं धर्मगत संकीर्णताओं से ऊपर उठकर मानव जाति को जीवन-मूल्यों के प्रति आकृष्ट कर सके। इस असांप्रदायिक मानव धर्म का नाम है-अणुव्रत आंदोलन।