कर्म निर्जरा का सशक्त उपाय तप

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कर्म निर्जरा का सशक्त उपाय तप

ईरोड।
साध्वी डॉ0 गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में भंवरलाल भूतोड़िया के द्वितीय वर्षीतप अनुमोदनार्थ ईरोड तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में कार्यक्रम रखा गया। साध्वी गवेषणाश्रीजी ने कहा कि मनुष्य की सामान्य मनोवृत्ति होती है कि वह रोग आने के बाद जागता है। होना यह चाहिए कि आदमी बीमारी आने से पहले सावधान रहे, स्वस्थ अवस्था में ही स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहे। दवाईयों से ज्यादा बीमारियों का अविष्कार हो रहा है। नित नए रोग बढ़ते जा रहे हैं। मन की शांति, सुखी जीवन, स्वस्थ के सुंदर माध्यम हैं। तप, तप मन व तन की स्वास्थता, कर्म निर्जरा का शाश्वत उपाय है। भंवरलाल ने भूतोड़िया दुबले-पतले होते हुए भी काफी तपस्या की है। और अभी दूसरे वर्षीतप का क्रम चालू है। साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि तप ओज है, नंदनवन है। तप से जीवन के संपित कर्मों का क्षेत्र होता है।
साध्वी दक्षप्रभा जी ने गीतिका प्रस्तुत की। पिंकी वैदमूथा, मंजु बोथरा ने स्वागत एवं दीपक भूतोड़िया, पिंकी भंसाली, रेणु नखत, पूजा बोथरा, पूनम दुगड़, कमला जीरावला आदि ने अनुमोदना व्यक्त की। सेवाभावी महानुभाव धर्मचंद बोथरा, हीरालाल चोपड़ा, महासभा उपाध्यक्ष नरेंद्र नखत, तेयुप अध्यक्ष सुभाष बैद, जेंटल भूतोड़िया, मोक्ष चोपड़ा आदि ने प्रस्तुति दी। महिला मंडल की बहनों द्वारा भावपूर्ण गीतिका, खुशबू वीणा भूतोड़िया ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन साध्वी मेरुप्रभा जी ने किया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री दुलीचंद पारख ने किया।