उत्तरांचल स्तरीय जैन संस्कार विधि संस्कारक प्रशिक्षण एवं निर्माण कार्यशाला व सम्मेलन

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उत्तरांचल स्तरीय जैन संस्कार विधि संस्कारक प्रशिक्षण एवं निर्माण कार्यशाला व सम्मेलन

दिल्ली।
अभातेयुप के तत्त्वावधान में उत्तरांचल स्तरीय जैन संस्कार विधि संस्कारक प्रशिक्षण एवं निर्माण कार्यशाला व सम्मेलन का द्विदिवसीय आयोजन तेयुप, दिल्ली द्वारा किया गया। कार्यशाला व सम्मेलन के लिए 45 सदस्यों ने रजिस्टेªेशन करवाया। 22 सदस्यों ने कार्यशाला में सहभागिता दर्ज कराई। कार्यशाला के प्रथम सत्र का शुभारंभ मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में नवकार महामंत्र के उच्चारण से हुआ। तेयुप, दिल्ली के साथियों द्वारा विजय गीत का संगान किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन तेयुप अध्यक्ष विकास सुराणा ने उपस्थित जनों को करवाया एवं अध्यक्षीय स्वागत वक्तव्य दिया।
मुनिश्री ने जैन संस्कार विधि के बारे में बताया कि जैन संस्कार विधि हिंसा से अहिंसा की ओर, असंयम से संयम की ओर, भोग से त्याग की ओर की संस्कृति है, इससे आत्म कल्याण के साथ स्वास्थ्य, अर्थ और समय की भी सुरक्षा होती है व इससे श्रावक व्रतों की पुष्टि होती है। गुरुदेव तुलसी द्वारा निर्देशित यह पद्धति केवल तेरापंथी ही नहीं, बल्कि संपूर्ण जैन समाज के साथ इसे जन-जन अपनाए। उद्घाटन सत्र का संचालन राज्य आयाम सहयोगी मनीष बरमेचा ने किया। आभार तेयुप, दिल्ली के मंत्री अभिनंदन बैद ने किया।
प्रथम सत्र में मुख्य प्रशिक्षक डालिमचंद नवलखा ने जैन दर्शन, जैन सिद्धांत एवं जैन संस्कार विधि से कार्यक्रम संपादित करने के बारे में बताया। द्वितीय सत्र में संस्कारक विमल गुणेचा ने जैन संस्कृति, जैन जीवनशैली का विस्तृत विवरण सभी के समक्ष रखा। तृतीय व चतुर्थ सत्र में जैन संस्कार विधि राष्ट्रीय प्रभारी राकेश जैन ने जैन संस्कार विधि में करणीय व अकरणीय कार्य के बारे में बताते हुए मंगलभावना पत्रक के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला में उपस्थित सभी महानुभावों ने गुरु इंगित 7 से 8 के बीच शनिवारीय सामायिक की।
प्रथम दिन के रात्रिकालीन अंतिम सत्र में गु्रप में उच्चारण शुद्धि का क्रम चला। जिसमें 3 ग्रुप के माध्यम से संभागियों की उच्चारण शुद्धि करवाई। कार्यशाला के द्वितीय दिवस प्रथम सत्र में मंचीय कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रहे अभातेयुप अध्यक्ष पंकज डागा ने कार्यक्रम की शुरुआत की विधिवत घोषणा की। गरिमामय उपस्थिति अभातेयुप महामंत्री पवन मांडोत की रही। सभी ने अपने वक्तव्य में विचार व्यक्त करते हुए शुभकामनाएँ संप्रेषित की। परिषद उपाध्यक्ष मुकेश जैन ने मंचीय कार्यक्रम का संचालन किया। आभार ज्ञापन कार्यक्रम संयोजक सौरभ जैन ने किया। द्वितीय सत्र में जैन संस्कार विधि से विवाह संस्कार कैसे होता है, उसका डेमो दिखाया गया व विधि से संबंधित भ्रांतियों का समाधान भी किया।

दीक्षांत समारोह
मुनिश्री जी के सान्निध्य में दीक्षांत समारोह का आयोजन हुआ। सामूहिक नवकार महामंत्र के मंत्रोच्चार के साथ कार्यक्रम शुरू किया गया। दीक्षांत समारोह में मुनिश्री जी ने प्रेरणा पाथेय में कहा कि संस्कारक व्यसनमुक्त और साधना युक्त हो उनका उच्चारण स्पष्ट हो, कार्यशाला में प्राप्त पाथेय को पुनः-पुनः दोहराया जाए, जिससे जहाँ भी संस्कारक जाएँ उनके उच्चारण की शुद्धि हो व सुनने वालों को भी कर्णप्रिय लगे। मुख्य प्रशिक्षक महोदय ने ली गई परीक्षा के अनुसार 11 नए संस्कारकों को ‘धी’ श्रेणी संस्कारक की उपाधि की अर्हता प्रदान की। कार्यशाला में पूर्व संभागियों के लिए ऑनलाइन उच्चारण शुद्धि कार्यशाला का आयोजन भी किया गया।
कार्यशाला की सारी व्यवस्था संभागियों से बात करना, कन्फर्मेशन लेना, समय-समय पर रिमाइंडर करना, यातायात व आवास व्यवस्था आदि सारा कार्य तेयुप, दिल्ली की टीम द्वारा किया गया। कार्यशाला संयोजक सौरभ जैन, मनीष जैन व राज्य आयाम सहयोगी प्रकाश सुराणा व अरुण गर्ग ने कार्यशाला को सफल बनाने में अपना पूर्ण योगदान दिया।
परीक्षण के पश्चात निम्न संस्कारक ‘धी’ श्रेणी संस्कारक बने-
अरविंद जैन-दिल्ली, नवीन जैन-दिल्ली, कुश जैन-दिल्ली, पराग जैन-दिल्ली, सुशील कुमार बैंगानी-दिल्ली, विजय कुमार जैन-दिल्ली, विकास बोथरा-दिल्ली, रोहित दुगड़-हनुमानगढ़, संजय कुमार जैन-हनुमानगढ़, गौरव जैन-सरदारपुरा, सुनील जैन-दिल्ली। इस कार्यशाला के पश्चात देशभर में अभातेयुप मान्यता प्राप्त जैन संस्कारकों की संख्या 538 हो गई है।