समय का सही मूल्यांकन करेंः आचार्यश्री महाश्रमण
दहाणुरोड, 29 मई, 2023
अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री महाश्रमण ने अमृत देशना प्रदान करते हुए फरमाया कि हमारी सृष्टि में द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव ये चार चीजें हैं, इनमें एक है-काल-समय।समय अपने ढंग से व्यतीत होता रहता है। अतीत हुआ समय फिर वापस वर्तमान नहीं बनता है। दिन-रात में 24 घंटे होते हैं, इनका आदमी क्या उपयोग करता है, यह चिंतन का विषय होता है। समय को व्यर्थ मत जाने दो। जैसे मेघ बरसता है, पानी गिरता है, पर कौन पानी का क्या उपयोग कर रहा है, यह धातव्य है। समय का सदुपयोग या दुरुपयोग भी हो सकता है। तो अनुपयोग भी हो सकता है। विचार करें कि इस अनमोल जीवन में क्या किया? दीर्घायुष्य का महत्त्व हो सकता है, पर उससे ज्यादा महत्त्व है कि जीवन कैसे जी रहे हैं, क्या कर रहे हैं? थोड़े जीवन काल में भी अध्यात्म का बढ़िया काम किया तो थोड़ा जीवन काल भी बड़ा महत्त्वपूर्ण हो सकता है।
अंगारा बनकर जीना मुहूर्त भर भी अच्छा है और धुआँ बनकर जीना कोई खास बात नहीं है। बालावस्था में साधु बनकर साधना व सेवा करना कितना श्रेयस्कर होता है। रोज सूर्य उदय होता है और हमारे जीवन का एक टुकड़ा लेकर चला जाता है। एक-एक मिनट का महत्त्व होता है। हम समय का मूल्यांकन करें। पंडित! तुम समय को जानो। समय एक धन है, सोच-समझकर खर्च करें। अच्छे कार्यों में समय लगाना चाहिए। सुबह-सुबह अमृत वेला की सामायिक अमृत है। पहले धर्म का योजन ले लें। शनिवार की सायं 7 से 8 के बीच तो सामायिक अवश्य हो। सामायिक में भी शुभ योग में रहें। विद्यार्थियों के जीवन में ज्ञान के साथ अच्छे संस्कार हों। जीवन में सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति रहे। समय का बढ़िया उपयोग हो।
पूज्यप्रवर ने स्कूल के विद्यार्थियों को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को समझाकर स्वीकार करवाए। प्रेरणा प्रदान कराते हुए फरमाया कि विद्यार्थी का ज्ञान अच्छा बढ़े, सिर्फ अंक पाना ही लक्ष्य न हो। जीवन अच्छा रहे। महिला मंडल एवं कन्या मंडल ने गीत प्रस्तुत किया, स्कूल के प्रिंसिपल योगेश पाटिल, दिलीप गुंदेचा, दीपमाला गुंदेचा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। व्यवस्था समिति व अणुव्रत समिति द्वारा स्कूल परिवार का सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।