वाणी का संयम रखना जरूरी: आचार्यश्री महाश्रमण
बोइसर, 31 मई, 2023
प्रातः स्मरणीय आचार्यश्री महाश्रमण जी अपनी अणुव्रत सेना के साथ दो दिवसीय प्रवास हेतु बोइसर के यू0एस0 ओस्तवाल एज्युकेशन सोसायटी के प्रांगण में पधारे। परम पुरुष ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए फरमाया कि आगम के श्लोक में वाणी संयम रखने, आक्रोश को असफल करने और समता के बारे में बताया गया है। आदमी के पास भाषा-लब्धि है। शास्त्रकार ने कहा है कि बिना पूछे कुछ भी न बोलें। अनावश्यक न बोलें जो आवश्यक हो वही बोलें। मौन रखना अच्छा है। अनावश्यक बोलना मितभाषिता हो जाती है। वाणी संयम के बारे में चार बातें खास हैं। परिमित बोलना। अच्छा आदमी कभी निराधार बात नहीं लिखता है। जो आवश्यक नहीं है, वो बोला न जाए। जुबान पर लगाम रखना कठिन हो सकता है।
मुखरता लघुता करने वाली होती है, मौन आदमी को बड़ा बनाने वाला होता है। जैसे नुपुर पैरों में पहने जाते हैं और हार गले में। दूसरी बात है-मधुरभाषिता। कटु बोलना काँटे के समान है। मीठा बोलना वशीकरण मंत्र है। तीसरी बात है-यथार्थ बोलना। किसी पर झूठा आरोप न लगाएँ। चौथी बात है-सोचकर बोलना। पहले तोलो-फिर बोलो। सुविचारिता रहे। ये चतुर्यामी वाणी की कला, वाणी का संयम है। वाणी का अच्छा उपयोग करने का प्रयास हो। अभ्याख्यान हमारे द्वारा न हो जाए। भाषा का सदुपयोग करें, औरों का कल्याण करें। वक्ता अच्छे ढंग से बात बताए और श्रोता अच्छे ढंग से बात सुने। वक्ता की वाणी के साथ जीवन का व्यवहार भी बोलना चाहिए। हम वाणी का अच्छा उपयोग करें, यह काम्य है।
आज बोइसर आए हैं अब तो मुंबई निकट हो रही है। यहाँ अच्छे श्रद्धा के परिवार हैं। जैन-जैनेत्तर में धार्मिक- आध्यात्मिक चेतना स्फुरित रहे। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने कहा कि पूज्यप्रवर देश के अनेक प्रांतों में भ्रमण कर वर्तमान में महाराष्ट्र में परिवर्जन कर रहे हैं। जहाँ पधारते हैं, लोग आचार्यप्रवर का अभिनंदन करते हैं। जो साधु हैं, वो अभिनंदन के योग्य हैं। जिसके मुखारविंद पर प्रसन्नता दिखाई देती है, संयम उज्ज्वल होता है, वह व्यक्ति अभिवंदनीय होता है। पूज्यप्रवर की वाणी से अमृत का निर्झर होता है। पूज्यप्रवर के अभिवंदन में स्थानीय सभाध्यक्ष झुमरमल बाफना, तेयुप अध्यक्ष राकेश राठौड़, राजस्थान जैन संघ के उमराव ओस्तवाल, वोइसर संघ संचालक विनोद बाजपेयी, पाटीदार समाज से विजय पटेल, तेरापंथ कन्या मंडल एवं किशोर मंडल ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार जी ने किया।