संत संस्कृति एवम् संस्कारों की सुरक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहते हैं

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संत संस्कृति एवम् संस्कारों की सुरक्षा के लिए सदैव प्रतिबद्ध रहते हैं

गाजियाबाद।
साध्वी अणिमाश्री जी का उपनगरों में भ्रमण के क्रम में गाजियाबाद के क्षेत्र, कौशाम्बी, वैशाली, रामप्रस्थग्रीन, चंद्रनगर, सूर्यनगर, रामपुरी एवं रामप्रस्थ में सतरह दिनों का प्रवास ज्ञान, ध्यान, तप, त्याग, सार-संभाल की दृष्टि से उपलब्धि एवं रात्रिकालीन कार्यक्रम में सबने बढ़-चढ़कर भाग लिया। ऐसा प्रतीत हुआ, वर्षों से प्यासी धरती को सिंचन मिला है। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि संत संस्कृति एवं संस्कारों की सुरक्षा के लिए अपने समय, श्रम व शक्ति का नियोजन करते हैं। हमारी संस्कृति व हमारे संस्कार पुष्ट होते रहें, इसलिए गाँव-गाँ, नगर-नगर, डगर, डगर, घर-घर, द्वार-द्वार जाते हैं और सोए हुए लोगों को जगाते है और कहते हैं संस्कृति
व संस्कारों के पहरेदार बनो। आज पाश्चात्य संस्कृति हमारी जड़ों को कमजोर कर रही हैं। हमारे संस्कार धूमिल हो रहे हैं। अगर पीढ़ी को बचाना है तो जागरूक बनें, अपने बच्चों को साधु-संतों के पास ले जाएँ, ताकि संस्कारों को पोषण मिल सकें। साध्वीश्री जी ने कहा कि हमारा गाजियाबाद प्रवास लाभकारी रहा। हमारा बाजार अच्छा चला और माल भी अच्छा बिका। नवोदित गाजियाबाद सभा में अच्छा उत्साह है। सभाध्यक्ष सुशील सिपानी अपनी टीम के साथ सक्रिय हैं। गाजियाबाद सभा सुशील के नेतृत्व में आगे से आगे बढ़ती रहे। लक्ष्य को प्राप्त करें।
साध्वी कर्णिकाश्री जी, डॉ0 साध्वी सुधाप्रभा जी, साध्वी समत्वयशा जी व साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने अनेक विधाओं में अपने भावों की प्रस्तुति दी। सभाध्यक्ष सुशील सिपानी ने कहा कि वर्षों के बाद हमारे क्षेत्र को चारित्रात्माओं का इतना लंबा प्रवास मिला। साध्वीश्री जी ने एक-एक घर का संभाल है। जवान पीढ़ी को धर्म से जोड़ा है। आपने जो सिंचन दिया है, उसका फल ओसवाल भवन में देखने का मिलेगा। हम सभी साध्वीवृंद के श्रम को नमन करते हैं। पुनश्च जब भी मौका मिले हमारे क्षेत्र की सार-संभाल करना।