सकारात्मक चिंतन वीतरागता का प्रतीक है

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सकारात्मक चिंतन वीतरागता का प्रतीक है

उत्तर हावड़ा।
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में ‘कैसी हो हमारी जीवन शैली’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन उत्तर हावड़ा तेरापंथी सभा एवं अणुव्रत समिति हावड़ा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि जीवन परम मूल्यवान है। ऐसे तो दुनिया में हर चीज का मूल्य होता है। किंतु जीवन का मूल्य सर्वोपरि है। हमें 9 घाटियाँ पार करने के बाद मानव भव मिला है। ऐसे हर मनुष्य जीवन जीता है। जीवन जीना एक बात है, ‘कलात्मक ढंग से जीवन जीना दूसरी बात है। जीवन शैली का पहला सूत्र है-सकारात्मक चिंतन। सकारात्मक चिंतन वीतरागता का प्रतीक है। हमारा लक्ष्य बने वीतरागता राग-द्वेष से जो मुक्त होता है वह वीतराग होता है।
मुनिश्री ने आगे कहा कि अच्छी जीवनशैली के लिए अहिंसा जरूरी है। अहिंसा से मैत्री, करुणा का विकास होता है, वैरभाव समाप्त होता है। आभामंडल पवित्र होता है, उपशम, समानता श्रम संस्कार, साधार्मिक वात्सल्य, आहार शुद्धि, व्यसन मुक्ति, सादगी, संयम, जीवन शैली के लिए यह उपयोगी सूत्र है। इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अणुव्रत समिति हावड़ा एवं उत्तर हावड़ा तेरापंथी सभा के कार्यकर्ताओं द्वारा अणुव्रत गीत के संगान से हुआ। अणुविभा सोसायटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रताप दुगड़ ने विचार रखे। उत्तर हावड़ा तेरापंथी सभा के अध्यक्ष राकेश संचेती ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। अणुव्रत समिति हावड़ा के अध्यक्ष मनोज सिंघी व श्रीरामकृष्ण सेवा समिति की ओर से ट्रस्टी हरिहर प्रसाद अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन सभा मंत्री सुरेंद्र बोथरा ने व संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। तेरापंथ सभा द्वारा गणमान्य व्यक्तियों का सम्मान किया गया।