विराट व्यक्तित्व के धनी थे आचार्यश्री तुलसी

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विराट व्यक्तित्व के धनी थे आचार्यश्री तुलसी

मानसरोवर हाइट।
राष्ट्रसंत अणुव्रत अनुशास्ता आचार्यश्री तुलसी की 27वीं पुण्यतिथि के अवसर पर साध्वी मंगलप्रज्ञा जी के सान्निध्य में विसर्जन दिवस का आयोजन मानसरोवर हाइट में किया गया। यह कार्यक्रम अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के निर्देशन में हैदराबाद तेममं द्वारा आयोजित किया गया। आचार्यश्री तुलसी द्वारा राजनीतिक, सामाजिक, नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास के दिए गए योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि आचार्य तुलसी विराट व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने अणुव्रत की बुहारी लेकर देश की आंतरिक शुद्धि का बीड़ा उठाया। वह किसी जाति, संप्रदाय कौम से संबद्ध नहीं है। उनकी कल्याणी भावना ने पूरे भारत की भूमि को सौहार्द, सद्भावना से सींचा लगभग 75 वर्षों तक भारतीय परंपरा की निर्वहन करते हुए उन्होंने मानव जाति को नई सोच, नए संकल्पों एवं नए अवदानों को समृद्ध किया। आजाद भारत के चारित्रिक निर्माण की दिशा में निरंतर प्रयासरत रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञानशाला की ज्ञानार्थियों के मंगलाचरण से हुआ। पंकज बैद ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। प्राची नाहटा, संपत नौलखा ने आचार्यश्री के नया मोड, समण श्रेणी, जैन विश्व भारती इत्यादि अवदानों की चर्चा की। निष्ठा नाहटा, अभिषेक नाहटा ने गीतिका के द्वारा अपने आराध्य की आराधना की। तेरापंथी सभा, सिकंदराबाद के मंत्री सुशील संचेती, तेयुप के अध्यक्ष वीरेंद्र घोषल, टीपीएफ के अध्यक्ष पंकज संचेती ने संपूर्ण युवा शक्ति की ओर से आचार्यप्रवर की अभ्यर्थना की। साध्वी डॉ0 चैतन्यप्रभा जी ने काव्य स्वरांजलि द्वारा एवं साध्वी डॉ0 राजूलप्रभा जी ने अनुभवात्मक भाषण द्वारा आचार्य तुलसी को श्रद्धांजलि अर्पित की। महिला मंडल एवं छाजेड़ परिवार ने सामूहिक रूप से गीतिकाओं की सुंदर प्रस्तुति दी। साध्वीवृंद ने गीतिकाओं के माध्यम से गुरु तुलसी का आह्वान किया।