आचार्य महाप्रज्ञ दुर्लभ विषेशताओं के समवाय थे
राजाराजेश्वरीनगर
बैंगलोर के राजाराजेश्वरी नगर स्थित तेरापंथ भवन में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के 104वें जन्मदिवस का आयोजन युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमणजी के सुशिष्य मुनिश्री दीप कुमार जी ठाणा 2 के सानिध्य में हुआ। कार्यक्रम की शुरूआत आर आर नगर तेरापंथ महीला मण्डल के द्वारा मंगलाचरण से हुई। मुनि श्री दीप कुमार जी ने कहा आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी की दुर्लभ विशेषताओं के समवाय थे। वे विश्व के महान संत, ऋतंभरा प्रज्ञा के धनी, उच्च कोटि के दार्शनिक, प्राच्य विधाओं के विज्ञाता, अन्वेषक, चिंतक, सारस्वत कवि, महान साहित्य सृष्टा और युगिन समस्याओं के समाधायक पुरुष थे। वे आध्यात्म अहिंसा और अनेकांत की त्रिपथगा थे। उन्होंने आचार्य श्री तुलसी के सानिध्य में उच्चस्तरीय अध्ययन किया। आगमों का कुशल संपादन किया। वे करुणा के प्रवहमान निर्झर थे। उनके करुणा नयन से समीप आने वाले को अमाप्य नेह से भिगो देते थे।
आचार्यश्री महाश्रमण जी में हम आचार्यश्री महाप्रज्ञजी को देख रहे हैं। कार्यक्रम में मुनि श्री काव्य कुमार जी ने गीत का संगान किया। आर आर नगर सभा अध्यक्ष छतर सिंह सेठिया, लता बाफना, मधु कटारिया, सुमित्रा बरडिया ने अपने अपने विचार रखें। इस अवसर पर तेरापन्थ सभा, तेरापंथ युवक परिषद, एवम महिला मण्डल विजयनगर के पदाधिकारी एवम सदस्यगण तथा आर आर नगर के श्रावक श्राविका समाज उपस्थित थे।