सफलता के ष्लाका पुरूश थे आचार्य महाप्रज्ञ

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सफलता के ष्लाका पुरूश थे आचार्य महाप्रज्ञ

मॉडल टॉउन, दिल्ली
मॉडल टाउन तेरापंथ भवन में आचार्य महाप्रज्ञ के 104वें जन्मदिवस समारोह को संबोधित करते हुए ‘शासनश्री’ साध्वी रतनश्री ने कहा- ‘सफलता उसी व्यक्ति के द्वार पर दस्तक देती है, जिस व्यक्ति का संकल्प वज्र जैसा मजबूत होता है। आचार्य महाप्रज्ञ ने 14 वर्ष की अवस्था में कुछ संकल्प किये थे, उन संकल्पों के सहारे बिन्दु से सिन्धु, लघु से महान एवं तलहटी से शिखर तक पहुंचने वाले बन गये। तीन दिन में एक श्लोक को याद करने वाले, एक दिन में सौ श्लोक याद करने वाले, महान साहित्यकार, महान दार्शनिक, महान कवि, महान आशु कवि, महान वक्ता आदि अनेकानेक विशेषताओं के धनी बन गये। उनके निर्माता तुलसी जैसे कुशल शिल्पी थे। अतः एक-एक सोपान पर आरोहण करते अलंघ्य ऊंचाइयों का स्पर्श कर लिया।’ ‘शासनश्री’ साध्वी सुव्रतांजी ने कहा- ‘आचार्य महाप्रज्ञ के जीवन में झरने जैसी निर्मलता एवं शिशु जैसी सरलता थी। एकलव्य जैसी एकाग्रता एवं गौतम जैसी विनम्रता थी। गुरु के प्रति समर्पण एवं चारित्रक निर्मलता उच्च कोटि की थी।’