विद्या, विनय और विवेक की त्रिवेणी थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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विद्या, विनय और विवेक की त्रिवेणी थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ

कृष्णानगर, दिल्ली
जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गांधीनगर, दिल्ली द्वारा आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का 104वां जन्मदिवस समारोह युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी ठाणा-3 के पावन सानिध्य में तेरापंथ भवन, कृष्णा नगर, दिल्ली में आयोजित किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ऊँ ह्रीं श्रीं महाप्रज्ञ गुरवे नमः के जप एवं मुनिश्री के मुखारविंद से नमस्कार महामंत्र के साथ हुआ। मुनिश्री ने आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की अभिवंदना करते हुए फरमाया कि आचार्यश्री महाप्रज्ञजी विद्या, विनय, विवेक की त्रिवेणी थे। उनका जीवन अहिंसा, संयम, तप का संगम था। वे वक्ता, लेखक एवं चिंतक ही नहीं साधनाशील व्यक्तित्व थे। इसीलिए जैन-अजैन सभी के श्रद्धास्पद बन पाए। मुनिश्री के साथ उपस्थित श्रद्धालुओं ने भी महाप्रज्ञ चालीसा का संगान किया। मुनि अमनकुमारजी एवं मुनि नमिकुमारजी ने अपने वक्तव्य में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी को श्रद्धा-पुष्प अर्पित किये।
गाँधीनगर सभा अध्यक्ष कमल गांधी द्वारा स्वागत उद्बोधन दिया गया। दिल्ली सभा के उपाध्यक्ष सुभाष सेठिया, महिला मंडल अध्यक्षा मंजू जैन, दिल्ली ज्ञानशाला के सह-संयोजक बजरंग कुंडलिया, विकास मंच के अध्यक्ष दीपचंद सुराणा, संगायक सुरेशचंद जैन आदि द्वारा इस अवसर पर वक्तव्य एवं गीत प्रस्तुत किये गये। महिला मंडल की बहिनों एवं तेरापंथ युवक परिषद के कार्यकर्ताओं ने गीतिकाओं का संगान किया। मुनिश्री की प्रेरणा से उपवास, आयम्बिल, एकासन एवं बड़ी संख्या में सामायिक की पचरंगियां हुई। कार्यक्रम का संचालन मंत्री हेमराज राखेचा द्वारा किया गया। अनेक संस्थाओं के गणमान्य पदाधिकारियों सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविका समाज की सहभागिता रही।