मानवता के उद्धार हेतु आचार्य तुलसी ने जीवनभर तपस्या की
जयपुर
महाप्राण गुरुदेवश्री तुलसी भारतीय ऋषि परंपरा के प्रतीक व सफल संवाहक थे। ऋषि मुनि स्वयं जागरूक होते हैं और जन समुदाय को जागरण का संदेश देते हैं। गुरुदेवश्री तुलसी आधुनिक तेरापंथ के महान निर्माता थे। समूची मानवता के उद्धार हेतु उन्होंने जीवनभर तपस्या की थी। उक्त महत्वपूर्ण विचार ‘शासन गौरव’ साध्वी कनकश्रीजी ने गुरूदेवश्री तुलसी के 27वें महाप्रयाण दिवस पर अपनी विनयांजलि करते हुए व्यक्त किए। साध्वीश्री ने प्रसंगवश कहा-‘महान अध्यात्म विभूति आचार्यश्री महाप्रज्ञजी एवं अहिंसा यात्रा के महानायक आचार्यश्री महाश्रमणजी गुरुदेवश्री तुलसीजी की व्यक्तित्व निर्माण कला के उत्कृष्ट नमूने हैं।
तेरापंथी सभा, जयपुर द्वारा तिलकनगर स्थित सौभाग्यविला में आयोजित गुरुदेवश्री तुलसी के महाप्रयाण दिवस का कार्यक्रम गुरूमंत्र के सामूहिक अनुष्ठान से श्शुरू हुआ। साध्वी मधुलताजी ने आचार्यश्री तुलसी के पद विसर्जन को महाविसर्जन बताते हुए कहा- पद और सत्ता की आपाधापी के इस युग में गुरूदेव द्वारा आचार्य पद का त्याग महान आश्चर्य के रूप में देखा गया। इस अवसर प्रबुद्ध श्रावक और युवक रत्न राजेन्द्र सेठिया ने आचार्य तुलसी के कालजयी अवदानों की विस्तार से चर्चा की। साध्वी कनकश्रीजी द्वारा रचित भावपूर्ण भक्तिगीत ‘घर-घर गूजें गीतांजलियां, अर्पित श्रद्धा कुसुमांजलियां’ साध्वी मधुलताजी के साथ साध्वी वंृद ने स्वर दिया तो परिषद भावविभोर हो उठी।
तेरापंथ महिला मंडल जयपुर (शहर) की बहिनों ने मधुर गीत के माध्यम से गुरुदेव के बहुआयामी अवदानों की अवगति दी। युवा गायक संदीप भंडारी ने मधुर गीत से वातावरण को संगीतमय बना दिया। ज्ञानशाला की नन्हीं बोधार्थी गौरवी ने ‘कैसी वह कोमल काया रे’ गीत का संगान किया। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की पूर्व अध्यक्षा पुष्पा बैद ने अपने प्रांजल भाव व्यक्त किये। कार्यक्रम में विद्वान जैन मनीषी डॉ. महावीरराज गेलड़ा, जय तुलसी फाउण्डेशन के अध्यक्ष पन्नालाल बैद, तेरापंथ महिला मंडल, जयपुर शहर अध्यक्ष निर्मला सुराणा, तेरापंथी सभा उपाध्यक्ष राजेन्द्र बंाठिया आदि विशेष रूप से उपस्थित थे। आभार व धन्यवाद ज्ञापन सभा के उपाध्यक्ष सुरेश बरड़िया ने किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी समितिप्रभा ने किया।
धम्मजागरणा-‘शासन गौरव’ साध्वी कनकश्रीजी के सान्निध्य में गुरुदेव तुलसी के 27वें महाप्रयाण दिवस पर रात्रिकालीन ‘श्रद्धा स्वरांजलि’ में साध्वी वंृद ने भक्ति गीतों के मधुर संगान के साथ महाप्राण गुरुदेव को श्रद्धाजंलि समर्पित की। नल बांठिया, सायर बागरेचा एवं मधुर संगायिका पूर्वी बांठिया तथा राखी दत्ता ने सुमधुर स्वरांे में गीतों का जलवा बिखेरा।