अर्हम
अजय अजेय बनने खातिर इस भैक्षव गण में आए थे
डायमंड नगरी सूरत में असली सूरत वो पाए थे।
पूरा परिकर योगीराज के श्रीचरणों में आया था
महामना महाप्रज्ञ शरण सब कुछ अर्पण करवाया था
अजय-नगीना गुरु सन्निधि संयम की खुश्बू लुटाए थे।
भर यौवन में रागी से वैरागी बन दिखलाया था
अर्धांगिनी नगीना ने भी पूरा साथ निभाया था
एक दशक की वय में तन्मय गण के दिल में छाए थे।
कई वर्षों से तन में व्याधि मन मजबूत मुनि का
अजय मुनि को योग मिला धीरज धर्मेश मुनि का
ज्योतिचरण के शुभ साये में संयम शतदल विकसाए थे।
धन्य धन्य है समताधारी अनशनकर्ता अजयप्रकाश
शीघ्र मिले मोक्ष की मंजिल पाओ जल्दी अमिट प्रकाश
भावों का हम अर्ध्य चढ़ाकर श्रद्धा गीत सुनाते हैं।
लय- कलयुग बैठा मार कुण्डली