अर्हम

अर्हम

सचमुच अनशन भारी रे, बहुत कठिन है काम
तप से रखना इकतारी रे
अजयप्रकाश जी मुनिवर, वैरागी बने सह परिकर
नीति तन्मय उपकारी रे, बहुत....
दशमेश गुरु से दीक्षा, जीवन की करी समीक्षा
गुरु आज्ञा तपस्या धांरी रे, बहुत.....
भोगी से बने थे योगी, योगी से बने उपयोगी
खिलती संयम क्यारी रे, बहुत.....
खुल्ली किताब सम जीवन, कर्मों का करते घर्षण
अब बनते अनशन धारी रे, बहुत.....
काया वाणी को कसकर मन पर पूरा वश रखकर
अपनी आत्मा उद्धारी रे, बहुत........
गुरुकृपा मिली मनचाही, धर्मेश, धीरज वाहवाही
सहयोगी साताकारी रे, बहुत....
अनशन की ओढ़ चदरिया, कण-कण में छाई खुशियां
यह अवसर मंगलकारी रे, बहुत......
मानो तर गए भव सागर, अब बाकी केवल गागर
मिट जाए कथा व्यथा री रे, बहुत.....
गुरु महाश्रमण वरतारो नैया को पार उतारो।
गुण गाए सरोजकुमारी रे,
खमतखामणा बारम्बारी रे, बहुत....

लय: कैसी वह कोमल काया रे...