चारित्रात्माओं का आध्यात्मिक मिलन एवं प्रवचन

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चारित्रात्माओं का आध्यात्मिक मिलन एवं प्रवचन

विवेक विहार, दिल्ली
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमारजी एवं दिगंबर तेरापंथी आचार्य सुनील सागरजी का विवेक विहार दिगंबर जैन मंदिर में सामूहिक प्रवचन कार्यक्रम जैन एकता को बढ़ाने वाला सिद्ध हुआ। मुनि कमल कुमारजी ने अपने वक्तव्य में फरमाया कि दिगंबर श्वेताम्बर एक मंच पर आने से ही हमारी भावी पीढ़ी पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। हम जैन हैं हमारे पास बहुत बड़ा शक्तिशाली मंत्र है। हम उस नमस्कार महामंत्र का जप करके सब प्रकार के ताप-संताप-पाप का परिहार कर सकते हैं। हमें हर मांगलिक कार्यक्रमों में इस मंत्र का सामूहिक जाप करना चाहिये, जिससे एकता सदा बनी रहे। जन्मदिन, शादी की सालगिरह, दुकान, मकान, संस्थान के शुभारंभ में भी इस मंत्र का जाप सामूहिक सामायिक सहित करना चाहिये। हमारे पूरे जैन समाज में सामायिक की मान्यता है। हमें अपने परिवार सहित सामायिक करने का अभ्यास करना चाहिये। भावी पीढ़ी को संस्कारी बनाना बहुत जरूरी है। आज हमारे संस्कार समाप्त होते जा रहे हैं। होटल और हॉस्टल के युग में संस्कारी परिवारों का अभाव होता जा रहा है। समय रहते अगर नहीं जागे तो अंत में पश्चाताप करना पड़ेगा।
आचार्य सुनील सागरजी ने कहा कि हमारी बच्चियां आज अन्य मतावलंबियांे के साथ जा रही है। उनका खान-पान अशुद्ध होता जा रहा है। हम चाहे श्वेताम्बर हो या दिगंबर हमारा खान-पान शुद्ध रहे। शाकाहार, शुद्धाहार का ज्यादा से ज्यादा प्रचार होना चाहिये। मैंने कमल मुनि के विषय में काफी सुना पर आज मिलकर बहुत प्रसन्नता हुई। आचार्यश्री ने मुनि कमल कुमारजी को ग्रंथ भेंट किये।
मुनिश्री ने फरमाया कि अन्य संप्रदाय के इतने बड़े साधु संघ के साथ आज जीवन में कार्यक्रम का प्रथम अवसर है। आचार्य सुनील सागरजी 90 ठाणों के साथ विराजमान हैं, वे सभी कार्यक्रम में उपस्थित थे। कार्यक्रम को सफल बनाने में अनुराग जैन, विकास नाहटा, अजीत बैद, कमल गांधी, पन्नालाल बैद, हेमराज राखेचा, मनोज सांड, अरिहंत सुराणा, मनोज बैद, किशोर बैद आदि का पूरा सहयोग रहा।