दुर्लभ मानव जीवन का लाभ उठाएं : आचार्यश्री महाश्रमण
नालासोपारा, मुम्बई 09 जून 2023
जिन शासन प्रावक आचार्य महाश्रमण आज प्रातः विहार कर नालासोपारा पधारे। स्थानकवासी साध्वियों ने ी पूज्यवर के दर्शन किये।
पावन प्रेरणा प्रदान कराते हुए परम पावन ने फरमाया कि हमारे जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है। साधु या गृहस्थ सी के द्वारा शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। प्राचीन समय में तो पूर्वों का ी अध्ययन करने का प्रयास किया जाता था। वर्तमान में ी आगम स्वाध्याय का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।
शास्त्रकार ने बताया है कि पांच ऐसे स्थान-कारण हैं, जिनसे आदमी शिक्षा को प्राप्त नहीं हो सकता। पहला कारण है- घमंड-अहंकार। ज्ञान प्राप्त करना है तो ज्ञान और ज्ञान प्रदाता के प्रति विनय का ाव हो। जिसके पास बुद्धि है, उसके पास बल है। शरीर बल के साथ बौद्धिक बल ी हो। बुद्धि का ी विनय करें। ज्ञान की अवहेलना न करें, घमंड से दूर रहें।
दूसरा कारण है- क्रोध-गुस्सा। तीसरा बाधक तŸव है प्रमाद। गुस्सा तो करना ही नहीं चाहिये। प्रमाद से भी बचें। आसक्ति ज्यादा न रखें। चौथी बाधा है- रोग-बीमारी। ज्ञान प्राप्ति के लिये शरीर और चिŸा स्वस्थ हो। पेट साफ- सौ रोग माफ। पांचवीं बाधा है- आलस्य। इन पांचों से आदमी बचे तो ज्ञान अच्छा प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञान के साथ व्यक्ति का आचार, व्यवहार और संस्कार अच्छे हो। जीवन में अहिंसा, सद्ावना, नैतिकता और नशामुक्ति रहे। अणुव्रत के नियम जीवन में हो। जीवन विज्ञान से विद्यार्थियों में अच्छे संस्कार आ सकते हैं। थोड़ा समय अध्यात्म साधना में ी लगाएं। ये दुर्ल मानव जीवन प्राप्त है, इसका अच्छा ला उठाएं। साधुओं की संगति से अच्छी गति प्राप्त हो सकती है।
वसई, विरार और नालासोपारा एक झूमका-सा है। दो दशक पश्चात यहां आना हुआ है। यहां धार्मिक गतिविधियां अच्छी चलती रहे।
साध्वी प्रमुखाश्री ने कहा कि व्यक्ति जब तक अपने स्वरूप को नहीं समझता है, तब तक वह अनन्त दुःखों को प्राप्त करता रहता है। जिस दिन अपने स्वरूप को जान लेता है, उसके सारे दुःख समाप्त हो जाते हैं। दो शब्द है- स्वरूप और रूप। दृश्य जगत में रूप का साक्षात्कार हो रहा है, पर हम स्वरूप से अनिज्ञ हैं। स्वरूप स्थायी है। आत्मा का दर्शन होता है। हम स्वरूप का साक्षात्कार करने की दिशा में आगे बढ़ें।
पूज्यवर के स्वागत में नालासोपारा साध्यक्ष लक्ष्मीलाल मेहता, तेयुप अध्यक्ष किशन कोठारी, महिला मंडल गीत, रमेश हिरण, पूर्व उपमहापौर उमेश नायक, ईसाई समाज से फादर माईकल रोरा, स्थानकवासी समाज से नरेन्द्र लोढ़ा, नगर सेवक प्रवीण वीरा ने अपनी ावना अिव्यक्त की। ज्ञानशाला के बच्चों ने गजसुकुमाल पर और कन्या मंडल ने अणुव्रत के 11 नियमों पर सुन्दर प्रस्तुति दी।
पूज्यवर ने महिला मंडल द्वारा प्रस्तुत संकल्प पत्र के अनुसार संकल्प स्वीकार करवाये।
कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया।