आत्म शुद्धि की चेतना के लिए साधना करें  रू आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

आत्म शुद्धि की चेतना के लिए साधना करें  रू आचार्यश्री महाश्रमण

विरार ईस्ट 07 जून 2023।
तपःपूत आचार्य महाश्रमण आज प्रातः विरार ईस्ट के विरार इंस्टीट्यूट आज टेक्नोलॉजी विद्या संस्थान में पधारे। पावन प्रेरणा प्रदान कराते हुए महातपस्वी ने फरमाया कि पूर्वकृत मल जो आत्मा पर चढ़ा हुआ है, उसका निराकरण करना और चेतना की शुद्धि हो, यह कैसे हो सकता है।
इस संदर् में बताया गया है कि स्वाध्याय और सद्ध्यान में जो रत रहता है, उसकी चेतना शुद्धता को प्राप्त हो सकती है। शास्त्रकार ने यहां ध्यान न कहकर सद्ध्यान कहा है। सद्ध्यान ी हो सकता है, और असद्ध्यान ी हो सकता है। सद्ध्यान से चेतना की विशुद्धि हो सकती है। चार ध्यान में दो असद्ध्यान है और दो सद्ध्यान है। सद्ध्यान अध्यात्म की साधना का एक महत्वपूर्ण अंग है।
शरीर में शीर्ष का, वृक्ष में मूल का जो स्थान है, सर्व साधु धर्म में वही स्थान ध्यान का होता है। ध्यान में एकाग्रता, निर्विचारता और योग निरोध की साधना हो। हमारे यहां प्रेक्षाध्यान के नाम से ध्यान की पद्धति चलती है। नाम का ी महत्व होता है। मेरा मन कल्याणकारी संकल्प से युक्त रहे।
पुरूषार्थ करने पर ी सफलता न मिले तो कोई अफसोस नहीं। फल में हमारा अधिकार नहीं है। सपने संकल्प बन जाए। पुरूषार्थी पुरूष है, उसका लक्ष्मी वरण करती है। ाग्य को प्रधान मानने वाले कुत्सित पुरूष है। एक बार पुनः प्रयत्न करो। सफलता मिल सकती है।
हर प्रवृŸिा में ध्यान को जोड़ देवें। जागरूकता के साथ राग-द्वेष न हो। ाव क्रिया, प्रतिक्रिया विरति, मैत्री मिताहार और मित ाषण- ये पांच सूत्र जीवनशैली से जुड़ जाए। इस तरह स्वाध्याय, सद्ध्यान, निर्मलता और निष्पाप व तप में रहने से चेतना की विशुद्धि हो सकती है। चेतना पर लगे मल को दूर करना है। अपनी परिस्थिति देखकर साधना में समय लगाएं। ज्ञाता-दृष्टा ाव की साधना होती रहे।
साध्वी निर्वाणश्री का सिंघाड़ा आज यहां पहुंचा है। सी साध्वियां धर्म की खूब प्रावना करती रहें। इस शिक्षालय में आये हैं। यहां विद्यार्थियों को अन्य शिक्षा के साथ धार्मिक, आध्यात्मिक संस्कार मिलते रहंे।
साध्वी निर्वाणश्री ने श्रीचरणों में अपनी ावना अिव्यक्त की। साध्वियों ने समूह गीत से पूज्यवर की वर्धापना की। आचार्य महाप्रज्ञ की कहानियों के अंग्रेजी अनुवाद की प्रति पूज्यवर को समर्पित की गई। पूज्यवर ने शिक्षण संस्थान परिवार व अन्य आगुन्तकगण को सद्ावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संकल्पों को समझाया।
इंस्टीयूट के श्री हितेन्द्र ठाकुर, स्थानीय विधायक श्रीमती प्रवीणा ठाकुर, विरार के सापति योगेश्वर पाटिल ने पूज्यवर के स्वागत में अपनी ावना व्यक्त की। व्यवस्था समिति द्वारा आगंतुक अतिथियों का सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमार ने किया।