आचार्य श्री तुलसी ने महाप्राण बनकर समाज में प्राण फूंके

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आचार्य श्री तुलसी ने महाप्राण बनकर समाज में प्राण फूंके

इस्लामपुर
अणुव्रत आन्दोलन के प्रवर्तक राष्ट्रसंत आचार्यश्री तुलसी का 27वां महाप्रयाण दिवस ‘महाप्राण गुरुदेव’ के रूप में आयोजित हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि प्रशांतकुमारजी ने कहा- आचार्यश्री तुलसी का विराट व्यक्तित्व जन-जन के लिए श्रद्धा और आकर्षण का केन्द्र बना रहा। वे कठोर अनुशास्ता और कुशल प्रशासक थे तो करुणा और वात्सल्य की अमृतवर्षा भी करते रहते थे। मानव जाति के कल्याण के लिए अणुव्रत, प्रेक्षाध्यान जैसे अनेक रचनात्मक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। राष्ट्रीय एकता और मानवीय एकता के लिए जीवनभर वे अथक प्रयास करते रहे। अनेक राष्ट्रीय समस्याओं के समाधान में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। देश के सभी राष्ट्रीय स्तर के नेता, राजनीतिज्ञ, बुद्धिजीवी, साहित्यकार आदि विभिन्न क्षेत्र के लोग उनके पास मार्गदर्शन के लिए आते थे। उन्होंने सभी को देश हित में कार्य करने का मार्गदर्शन दिया। तेरापंथ संघ को सशक्त बनाने के साथ-साथ जैन एकता के लिए किए गए उनके प्रयास चिरस्मरणीय है। वे स्वयं एक उच्च स्तर के साहित्यकार कवि और संगीतकार थे। समाज सुधार के क्षेत्र में उन्होंने बहुत कार्य किए।
रूढ़ियो में जकड़े महिला समाज को अपनी प्रेरणा और पुरुषार्थ से प्रगतिशीलता के पथ पर लाकर खड़ा किया। ऐसे महापुरुष अपने कर्तृत्व से युग की धारा को मोड़ देते हैं। पुरुषार्थी बनकर कर्मशीलता से युग की नब्ज को पहचानकर नवीनीकरण के माध्यम से समाज को विकास की गति प्रदान करते हैं। उनका व्यक्तित्व अपने आप में विराट था। संघ में व्यापक रूप से विकास का कार्य किया। आचार्य महाप्रज्ञजी जैसे महापुरुष को तराशा और संघ के सर्वोच्च पद पर प्रतिष्ठित किया। उनके आभामण्डल की पवित्रता, चेहरे की तेजस्विता ने अनेकों लोगों को प्रभावित किया। उन्होंने व्यक्ति की परख करके आगे बढ़ा कर अनेकों व्यक्तित्वों का निर्माण किया। आचार्य तुलसी साधु-साध्वी को समय-समय पर प्रोत्साहन देते। उन्होंने महाप्राण बनकर समाज में प्राण फूंके। आगम जैसे दुरूह कार्य को करके संघ को समृद्ध बनाया। साहित्य की धारा बहाकर देश को एक अमिट आलेख दिया। विरोधी व्यक्ति भी उनके कार्यों से प्रभावित हुए।
मुनि कुमुद कुमारजी ने कहा- आचार्यश्री तुलसी भारतीय संत परम्परा के एक उज्ज्वल नक्षत्र थे। तेरापंथ संघ को तेजस्वी बनाने के साथ जैनधर्म को विश्व भर में पहुंचाया, जिससे व्यक्ति-व्यक्ति सम्यक जीवन जिए। उनके दिए गए अवदान आज मानव जाति के लिए वरदान सिद्ध हो रहे हैं। उनकी कार्य क्षमताएं बेजोड़ थी। वे आध्यात्मिक ऊर्जा के भण्डार थे। उन्हें एक ओर बड़े-बड़े सम्मान प्राप्त हुए, दूसरी ओर अनेक विरोधों का सामना भी करना पड़ा। अपनी शक्ति को हमेशा रचनात्मक कार्यों में लगाई और देश-दुनिया को सही दिशा दर्शन दिया। अनेकानेक श्रावक कार्यकताओं को तैयार कर संघ को विकास की ओर आगे बढ़ाया। आचार्यश्री तुलसी ने जैन संस्कार, ज्ञानशाला के माध्यम से संस्कारों का सिंचन कर श्रावकत्त्व को मजबूती प्रदान की। पुण्यपुरुष थे जो स्वप्न देखा उसे आकार देते हुए साकार किया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुनिश्री के मंगलमंत्रोच्चार से हुआ। इस्लामपुर सभा अध्यक्ष नरेन्द्र बैद, तेयुप अध्यक्ष विजय दुगड़, महिला मण्डल अध्यक्षा सरिता सिंघी, ज्ञानशाला परिवार, दलखोला से सुजानमल सेठिया, सिलीगुड़ी से सुमन सेठिया, सभा अध्यक्ष रूपचंद कोठारी, लाडनूं से समागत आलोक खटेड़, कन्हैयालाल बोथरा, कमल दुधेड़िया-दलखोला, प्रेम पांडे-सिलीगुड़ी ने गीत एवं वक्तव्य के माध्यम से प्रस्तुति दी। तेरापंथ युवक परिषद्‌‍‍ की नवगठित टीम ने सपथ ग्रहण की। मुनिश्री ने उनके आध्यात्मिक कार्यों की सराहना करते हुए आगामी कार्यकाल के लिए प्रेरणा प्रदान की। आभार ज्ञापन सभा मंत्री बसंत बागरेचा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि कुमुदकुमारजी ने किया।