स्वस्थ जीवनशैली है- अणुव्रत
इस्लामपुर
मुनि प्रशांतकुमारजी, मुनि कुमुदकुमारजी के सान्निध्य में अणुव्रत गोष्ठी का आयोजन हुआ। जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुनिश्री प्रशांत कुमारजी ने कहा- गुरुदेवश्री तुलसी का उदात्त व्यापक दृष्टिकोण का परिणाम मानव जाति के लिए अणुव्रत का अवदान दिया। मानवीय गुणों की सुरक्षा के लिए ही अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात्र किया। अणुव्रत सर्व कल्याण का पथ है। देश का अच्छा विकास हो सके इसलिए पूज्य गुरुदेव ने भगवान महावीर द्वारा बताए गए सिद्धांतों को आमजन के लिए सरल भाषा में प्रस्तुत किया। श्रावक को बारह व्रत को अपना लेना चाहिए। जिसने बारहव्रत को अपना लिया वे अणुव्रत के नियम को अपने आप पालन कर लेता है। हर श्रावक को श्रावक जीवन की पालना के लिए बारह व्रत की पालना अनिवार्य है। भगवान महावीर के समय राजा चेटक हुए, जो बारह व्रती श्रावक थे। अच्छे इंसान अच्छे नागरिक को जीवन में व्रतों को ग्रहण कर सम्यक् जीवन जीना चाहिए। सभी को सबसे पहले अणुव्रत को समझना जरूरी है। अणुव्रत के नियम बंधन नहीं अपितु स्वस्थ जीवन शैली है। गुरुदेवश्री तुलसी ने मानव जाति के कल्याण के लिए लगभग एक लाख किलोमीटर की पदयात्रा कर अणुव्रत का प्रचार-प्रसार किया। नियम, कानून के दायरे से बंधा व्यक्ति अपराधिक प्रवृत्ति की ओर कम जाता है। साम्प्रदायिकता से परे इस कार्य से इंसानियत की भावना जागृत रहती है इसलिए उन्होंने कहा ‘इंसान पहले इंसान फिर हिन्दू या मुसलमान।’ व्यक्ति अपने स्वार्थ के वशीभूत मानवता की हत्या कर देता है।
मुनि कुमुदकुमारजी ने कहा- अणुव्रत जीवन जीने की कला है। अपने जीवन को हम सही चिंतन, स्वस्थ जीवनशैली से जीने के लिए अणुव्रत को जीवन में आत्मसात् करें। अणुव्रत भगवान महावीर का श्रावक को दिया गया अवदान है। श्रावक के जीवन में त्याग, प्रमाणिकता, अहिंसा, नैतिकता की चेतना हर समय जागृत रहनी चाहिए। नियम हमारे लिए सुरक्षा का काम करते हैं। नियम, व्यवस्था से व्यक्ति परिवार, समाज एवं राष्ट्र अनेकानेक समस्या से बच जाता है। अणुव्रत के नियम अगर हर समाज राष्ट्र में व्यक्ति अपनाने लग जाए तो देश का सर्वांगीण विकास हो सकता है। समाज सुधार का यह कार्य जितना व्यापक बने उतना देश स्वस्थ बनेगा।
महिला मंडल ने अणुव्रत गीत की प्रस्तुति दी। अणुव्रत समिति अध्यक्षा शकुंतला दुगड़ ने अपने विचार व्यक्त किए। आभार ज्ञापन मनीषा बोथरा ने किया।