सुसंस्कार की नींव है ज्ञानशाला

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सुसंस्कार की नींव है ज्ञानशाला

टॉलीगंज
मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य व टांलीगंज तेरापंथी सभा के तत्वावधान में जैन स्थानक में नई ज्ञानशाला का शुभारंभ व जैन विद्या प्रमाण पत्र वितरण का कार्यक्रम हुआ। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा- जो विचार सहृदय में अवस्थित हो जाते हैं, उसका नाम संस्कार है। संस्कार हमारे जीवन की संपदा है। संस्कार जीवन की धरोहर है। सुसंस्कार से जीवन आबाद हो जाता है। कुसंस्कार से जीवन बर्बाद हो जाता है। सुसंस्कार की नींव ज्ञानशाला है। ज्ञानशाला के माध्यम से बालक अपना अच्छा विकास कर सकता है। जैन धर्म, तेरापंथ आदि परंपराओं का अच्छा ज्ञान कर सकता है और साधार्मिक वात्सल्य का विकास होता है। मुनिश्री ने आगे कहा- सुसंस्कारों के जागरण से व्यक्ति का भाग्योदय सर्वेादय हो सकता है। गुरुदेव तुलसी ने भावी पीढ़ी को सुसंस्कारी व चारित्रवान बनाने के लिए ज्ञानशाला का आयाम समाज को दिया। ज्ञानशाला के माध्यम से अनेक ज्ञानार्थी साधु बनकर संघ की सेवा कर रहे हैं। ज्ञानशाला से निकला हुआ बालक श्रेष्ठ इंसान-श्रावक भी हो सकता है। बच्चे कोरे कागज के समान होते हैं। उसमें चाहे जैसा रंग भर सकते हैं। मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा- समण संस्कृति द्वारा आयोजित जैन विद्या पाठ्य कार्यक्रम का ज्यादा से ज्यादा अध्यन करना चाहिए। ज्ञान से वैराग्य की अभिवृद्धि होती है।
टांलीगंज सभा अध्यक्ष अशोक पारख, ज्ञानशाला आंचलिक संयोजिका डॉ. प्रेमलता चोरड़िया, मुख्य प्रशिक्षिका सरोज पारख एवं ज्ञानशाला के बच्चों ने अपनी प्रस्तुति दी। जैन विद्या सह आंचलिक संयोजिका वंदना डागा, स्नेहलता बागरेचा, केन्द्र व्यवस्थापिका सुषमा सुराणा, निधी जैन, संचालन ज्ञानशाला संयोजक विवेक सेठिया ने किया। सह व्यवस्थापक अजय आंनद पुगलिया आदि गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित थे।