जागृत प्रज्ञा के पुरोधा आचार्यश्री महाप्रज्ञ

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जागृत प्रज्ञा के पुरोधा आचार्यश्री महाप्रज्ञ

जसोल
‘शासनश्री’ साध्वी सत्यप्रभाजी के सानिध्य में संस्था शिरोमणी जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के निर्देशन में तेरापंथी सभा जसोल के तत्वावधान में तेरापंथ के दशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का 104वां जन्मदिवस ‘प्रज्ञा दिवस’ के रूप में मनाया गया। ‘शासनश्री’ साध्वी सत्यप्रभाजी ने आचार्यश्री महाप्रज्ञ की शक्तियों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनके व्यक्तित्व में शक्ति, प्रवचन में शक्ति, साहित्य में शक्ति, ह्रदय परिवर्तन में शक्ति, भावों में निर्मलताशुद्धता लाने की शक्ति, अधार्मिक को धार्मिक बनाने की शक्ति, पाप कर्मो से विमुख करने की शक्ति, आध्यत्मिक साधना से प्रवृत्त करने की शक्ति, मानव को महामानव बनाने की शक्ति जैस्ाी विलक्षण शक्तियां थी। 
अहिंसा के प्रबल पक्षधर, प्रचारक, सत्यम-शिवम-सुंदरम के साक्षात स्वरूप, अपनी बुद्धिमता, संवेदना, सहिष्णुता, साधना, दार्शनिकता, आध्यत्मिकता और शीतलता से जन सामान्य के ह्रदय पटल पर अपना एक स्थान बनाने वाले महान आचार्य थे आचार्यश्री महाप्रज्ञ! साध्वी ध्यानप्रभाजी ने महान संत योगी आचार्यश्री महाप्रज्ञ के बारे में बताते हुए कहा कि जिन्होंने कभी स्कूल का दरवाजा तक नहीं देखा पर महान शास्त्रवेत्ता बन गए। वे एक दार्शनिक एवं तार्किक थे, पर श्रद्धा उनमें कूटकूट कर भरी थी। वे एक कवि थे पर गांभीर्य उनका स्वभाव था। साध्वी यशस्वीप्रभाजी ने भी आचार्यश्री महाप्रज्ञ के संदर्भ में अपने प्रेरणादायक विचार रखे। 
कार्यक्रम का शुभारम्भ तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों द्वारा महाप्रज्ञ अष्टकम मंगलाचरण से हुआ। कार्यक्रम में तेरापंथी सभा जसोल अध्यक्ष उगमराज तातेड़, सिवांची मालाणी तेरापंथ संस्थान अध्यक्ष डूंगरचंद सालेचा, तेरापंथी महासभा जोधपुर संभाग प्रभारी गौतमचन्द सालेचा, उपासक मोतीलाल जीरावला, लीलादेवी छाजेड़, तेयुप के पूर्व अध्यक्ष प्रवीण भंसाली सहित प्रबुद्ध वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किये। तेरापंथ महिला मंडल द्वारा सामूहिक गीति का का संगान किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन कांतिलाल ढ़ेलड़िया ने किया ।