आचार्यश्री तुलसी विकास के पुरोधा पुरुष थे

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आचार्यश्री तुलसी विकास के पुरोधा पुरुष थे

मरीन ड्राइव, मुंबई
मानवता के मसीहा आचार्य तुलसी के प्रति अपने महासुमन अर्पित करते हुए साध्वी काव्यलताजी ने कहा- आचार्यश्री तुलसी का व्यक्तित्व बहुआयामी व्यक्तित्त्व था। उनका आन्तरिक व्यक्तित्त्व जितना पवित्र, निर्मल और उज्ज्वल था, उतना ही बाह्य व्यक्तित्व प्रभावक, तेजस्वी था। वे विकास के पुरोधा पुरुष थे। न केवल तेरापंथ धर्मसंघ को विकास का मार्ग प्रदान किया अपितु मानव जाति के सुख शान्ति के लिए अणुव्रत, जीवन विज्ञान, प्रेक्षाध्यान जैसे अमर अवदान दिए। आज के कार्यक्रम की मंगलाचरण सौरभ बरमेचा ने तुलसी अष्टकम्‌‍‍ के संगान से हुआ। साध्वी सुरभिप्रभाजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। साध्वी ज्योतियशाजी ने कार्यक्रम का कुशल संचालन किया। द.मुंबई तेरापंथ सभा अध्यक्ष गणपतलाल डागलिया, अणुव्रत सभागार के ट्रस्टी शान्तिलाल नान्दरेचा, सभा के मंत्री दिनेश धाकड़ ने अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। जगदीश उमरिया ने आभार व्यक्त किया।