आषाढ़ी पूनम पर विशेष
भरत क्षेत्र के जंबूदीप में भिक्षु स्वामी आएं
हम अपना भाग्य सराएं।।
एकाचार की सुंदर छत ने गण मंदार महकाया
मर्यादा अनुशासन ने जागृति का पाठ पढ़ाया
धर्म धुरंधर सत्यनिष्ठा बन अमृत धार बहाएं।।
निर्मलतम व्यक्तित्व शुंभकर अद्भूत ज्योत जलाई
तेजस्वी आभामंडल ने समकित नींव लगाई
संकल्पों के दिव्य पुरोधा मुक्ति मार्ग बताएं।।
आगम का नवनीत सुहाना नव उन्मेष जगाएं
तपोधन से निखरा उपवन परम शांति को पाएं
संघर्षों में सुमेरु सम तुम अविचल कहलाएं।।
‘दान दया का भेद बताया’ नंदनवन विकसाया
‘धन से नहीं धर्म का नाता’ अभिनव बोध दिराया
कइयों को रातें जगाकर सम्यक्दृष्टि बनाएं।।
कल्पवृक्ष सी शीतलतम छाया में मोद मनाते
दीपानंदन को शीष झुकाते रवि शशि भी हरसाते
विध्न विनाशक मंगलकारी सांवरियै को ध्याएं।।
लय संयममय जीवन हो....