चातुर्मासिक मंगल प्रवेश

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चातुर्मासिक मंगल प्रवेश

दिल्ली
साध्वी अणिमाश्रीजी ठाणा-5 का चातुर्मासिक पावस प्रवेश के अवसर पर साध्वी अणिमाश्रीजी ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में कहा- हर व्यक्ति संत नहीं बन सकता किन्तु शांत बनकर अपने जीवन को आनन्दमय बना सकता है। हर व्यक्ति पूर्ण संयमी नहीं बन सकता पर आंशिक संयम की आराधना कर अपनी आत्मा का ऊर्ध्वारोहण कर सकता है। हर व्यक्ति महाव्रती तो नहीं बन सकता किन्तु अणुव्रती बनकर साधना-आराधना तो कर सकता है।
साध्वी कर्णिकाश्रीजी ने जैनधर्म, तेरापंथ दर्शन का सामान्य अवबोध प्रदान कर जन-समुदय के ज्ञान भंडार को भरा। साध्वी डॉ. सुधाप्रभाजी ने तत्वज्ञान का रोचक प्रशिक्षण दिया। साध्वी समत्वयशाजी ने स्वर लहरी से समा बांधा। साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने आगम वाणी के दीप जलाए। श्रावक समाज ने कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा आपश्री ने मेहनत कर हमारे क्षेत्र में जागृति का शंखनाद किया है एवं धर्म की अच्छी प्रभावना की है।