आचार्यश्री भिक्षु की वीतराग भगवान के प्रति गहरी आस्था थी

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आचार्यश्री भिक्षु की वीतराग भगवान के प्रति गहरी आस्था थी

पेटलावद।
आचार्य भिक्षु एक महापुरुष हुए जिनके संयमी जीवन के स्मरण से हमारा हृदय प्रकाश से भर जाता है। उनका उच्च आचरण वाला जीवन हमारे लिए आदर्श रूप है। वे एकाभवतारी थे। आचार्य भिक्षु की वीतराग भगवान के प्रति गहरी आस्था थी। उक्त आशय के उद्गार मुनि सुव्रतकुमार जी ने तेरापंथ धर्मसंघ के प्रथम गुरु महामना आचार्यश्री भिक्षु के 298वें जन्म दिवस व 266वें बोधि दिवस पर तेरापंथ भवन में श्रावक-श्राविकाओं के समक्ष व्यक्त किए। आपने कहा कि आचार्य भिक्षु एक ऐसे महापुरुष थे, जिन्होंने जीवन भर कठिनाइयों को सहन किया। वे जीवन भर साधना के द्वारा कर्म निर्जरा करते रहे। भिक्षु स्वामी ने स्वयं के सिर में मुक्के मारने वाले विरोधियों तक के प्रति समभाव व सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा। आपने प्रासंगिक रूप में तेरापंथ धर्मसंघ के विशिष्ट श्रावक श्रीचंद रामपुरिया के जीवन का उल्लेख किया। इस अवसर पर मुनि मंगलप्रकाश जी ने कहा कि आचार्यश्री भिक्षु का हम सब पर महान उपकार है। हम सही तत्त्व को सही समझने का प्रयास करें। आपने प्रासंगिक रूप में कहा कि हमारे गुरु हमारे लिए तीर्थयात्रा के समान हैं। गुरु आचार्यश्री महाश्रमणजी तीर्थंकर तुल्य हैं। इस अवसर पर मुनि शुभम कमार जी ने भी संबोधित किया। अनेक व्यक्तियों ने उपवास-एकासन के प्रत्याख्यान लिए।