धर्म उत्कृष्ट मंगल है : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

धर्म उत्कृष्ट मंगल है : आचार्यश्री महाश्रमण

युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमण का नंदनवन में हुआ भव्य चातुर्मासिक मंगल प्रवेश
अभिनंदन हेतु श्रीचरणों में पहुंचे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे

28-06-2023 नंदनवन
तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशम अधिशास्ता युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी का मुंबई में 2023 के घोषित चातुर्मास हेतु पावस प्रवास और मंगल प्रवेश का पावन प्रसंग। विशाल जनमेदिनी के साथ महामहिम आचार्यश्री ने अपनी धवल सेना के साथ लगभग 9 बजकर 9 मिनट पर नंदनवन परिसर में पावन प्रवेश किया। मुम्बई का सम्पूर्ण श्रावक-श्राविका समाज पूज्यवर के प्रति कृतज्ञता के भाव अर्पित कर रहा था।
उपस्थित जनमेदिनी को अमृत रस का पान करवाते हुए परम उपकारी ने फरमाया कि हमारी दुनिया में मंगल की कामना की जाती है। आदमी विघ्न-बाधाओं से बचने की इच्छा करता है और बचने का प्रयास भी करता है। शुभ मुहुर्त में प्रवेश करते हैं, इसमें भी मंगल की कामना अन्तर्निहित हो सकती है। अनेक कार्यों में मंगल की कामना होती है।
कुछ पदार्थ भी मंगल के रूप में आसेवित किये जाते हैं। शास्त्रकार ने मंगल के संदर्भ में अत्यन्त महत्वपूर्ण बात बताई है कि धर्म उत्कृष्ट मंगल है। मेरा भी मंतव्य है कि धर्म से बढ़कर दूसरा कोई मंगल नहीं है। अहिंसा, संयम और तप में धर्म है। सम्पूर्ण आत्मशुद्धिकारक धर्म इसमें आ गया।
अहिंसा आदमी के जीवन में है, धर्म का एक आयाम उसके जीवन में आ गया। संयम और तप है तो धर्म का दूसरा-तीसरा आयाम भी जीवन में आ गया। साधु-साध्वियां जो महाव्रती हैं, वे अपने आप में मंगल है। मंगल पाठ सुनना भी महत्वपूर्ण मंगल है। अरहंत, सिद्ध, साधु और केवली प्रज्ञप्त धर्म मंगल है।
आज हमने वि सं 2080 के चातुर्मास के लिए चातुर्मास के प्रवास स्थल में चातुर्मासिक प्रवेश किया। सन् 2019 के मर्यादा महोत्सव में मैंने मुम्बई चातुर्मास हेतु कहा था, उसके अनुसार मुंबई आकर चातुर्मासिक प्रवेश कर लिया। गुरुदेव तुलसी ने सन् 1954 का चातुर्मास एवं सन् 1955 का मर्यादा महोत्सव मुंबई में किया था। सन् 2003 में आचार्यश्री महाप्रज्ञजी ने मुंबई में मर्यादा महोत्सव एवं लंबा प्रवास किया था।
आचार्य प्रवर ने ‘भिक्षु म्हारे प्रगट्याजी भरत खेतर में’ गीत के दो पद्यों के सुमधुर संगान के साथ फरमाया कि आचार्य भिक्षु हमारे आद्य प्रवर्तक थे। गुरुदेव तुलसी व आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का बहुत उपकार रहा है। ‘कैसी वह कोमल काया रे’ एवं ‘पूज्यवर महाप्रज्ञ भगवान’ गीत के पद्यों का भी पूज्यवर ने संगान करवाया एवं शासन माता साध्वी प्रमुखा कनकप्रभाजी का भी स्मरण किया।
पूज्यवर ने साधु-साध्वियों की संख्या का उल्लेख करते हुए फरमाया कि डॉ महावीर मुनि सहित 49 संतों के साथ प्रवेश किया है। साध्वीप्रमुखा विश्रुत विभाजी आदि 125 साध्वियों का प्रवेश हुआ है। सभी का स्वास्थ्य अच्छा रहे, शुभ योग में रहे। यह पांच महीने का चातुर्मास धर्ममय हो। व्यवस्था समिति के कार्यकर्ताओं में अच्छा उत्साह रहे। मर्यादा महोत्सव भी वृहत्तर मुंबई में ही है। पूर्वाचार्याे का स्मरण करते हुए हमारा चातुर्मास धर्ममय रहे। बहुश्रुत परिषद् के पूर्व संयोजक मुनि महेन्द्रकुमारजी का स्मरण करते हुए आचार्य प्रवर ने फरमाया कि मैं उनके साथ के पांच संतो में उनको देख रहा हूं। साध्वी प्रमुखाजी के प्रवास स्थल का नाम अनुकम्पा भवन कर दिया, हमारे प्रवास स्थल की पहचान भिक्षु विहार है। पास में साध्वियों का एक भवन और है, उसका नाम मैत्री भवन और एक साध्वी प्रमुखाजी के प्रवास स्थल के पास में एक और भवन है, उसका नाम अहिंसा भवन व समणियों के प्रवास स्थल की पहचान सौहार्द भवन करने की घोषणा की।
साध्वी प्रमुखाश्रीजी ने फरमाया कि पूज्यवर ने सपना देखा था कि मुझे मुंबई चातुर्मास करना है। संकल्प किया और चरणों को गतिशील बनाते हुए चले, राजस्थान से लगभग 2500 किमी चलकर मुंबई पहुंचे हैं। चारों ओर उत्साह का वातावरण है। महापरिव्राजक की महायात्रा को विश्राम मिल रहा है। भौतिक सुख-सुविधाओं से सुसज्जित महानगरी में महायायावर कल्पवृक्ष बनकर आये हैं। महासूर्य से आलोक प्राप्त करने का प्रयास करें।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिन्दे पूज्यवर की सन्निधि में पहुंचे। पूज्यवर ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के बारे में समझाते हुए आशीर्वचन फरमाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं महाराष्ट्र की धरती पर आचार्य महाश्रमणजी का हृदय से स्वागत अभिनन्दन करता हूं। महाराष्ट्र संतों की भूमि, पावन भूमि है। आपके आने से समृद्ध भी हो जायेगी।
आप एक मिशन पर कार्य कर रहे हैं। आपने 55000 किमी की यात्रा की है। हम आपका आशीर्वाद लेने आये हैं। हमने भी ड्रग फ्री मुंबई पर कार्य शुरू किया है। व्यवस्था समिति द्वारा मुख्यमंत्री का सम्मान किया गया। पूज्यवर के स्वागत में आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति, मुम्बई के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़, स्वागताध्यक्ष सुरेन्द्र बोरड़ पटावरी, महामंत्री सुरेन्द्र कोठारी, महेश बाफणा, प्रबंधक मनोहर गोखरू, उदय आचार्यजी, महासभा के पूर्व अध्यक्ष किशनलाल डागलिया, जैन विश्व भारती के मंत्री सलिल लोढ़ा, अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के सहमंत्री भूपेश कोठारी, निवर्तमान अध्यक्ष संदीप कोठारी, अमृतवाणी अध्यक्ष रुपचन्द दूगड़, सुमतिचन्द गोठी, भंवरलाल कर्णावट, स्थानीय विधायक निरंजन दावखरे, तेरापंथी सभा मुम्बई के कार्याध्यक्ष नवरत्नमल गन्ना, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा रचना हिरण, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम अध्यक्ष राज सिंघवी, अणुव्रत समिति अध्यक्ष रोशनलाल मेहता, माल्विका बेन एवं भव्या बाफणा ने अपने श्रद्धासिक्त भावों को अभिव्यक्तियां दी। प्रवास व्यवस्था समिति मुम्बई, तेरापंथ महिला मण्डल, तेरापंथ युवक परिषद् एवं उपासक श्रेणी द्वारा गीतों के माध्यम से भाव व्यक्त किये गये। संगायक रवि जैन एवं विराग मधुमालती ने मराठी भाषा में गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों एवं तेरापंथ कन्या मण्डल की प्रस्तुतियां हुई। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया। साध्वी मधुस्मिताजी के सिंघाड़े ने श्रीचरणों में पहुंचकर दर्शन किये। प्रतिमाधारी श्रावक धनराज बैद को पूज्यवर ने मुमुक्षुु श्रेणी में प्रवेश का मंगलपाठ सुनाया।