जीवन में सही मार्ग के चयन का भी बड़ा महत्त्व: आचार्यश्री महाश्रमण
महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमण के श्रीमुख से आध्यात्मिक मंत्रोच्चार के साथ हुआ चातुर्मास का शुभारंभ
02 जुलाई 2023, नंदनवन
आषाढ़ शुक्ला चतुर्दशी, चातुर्मासिक चतुर्दशी और हाजरी का वाचन। नंदनवन प्रवास का प्रथम रविवार। तेरापंथ के एकादशम अधिशास्ता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन प्रेरणा पाथेय प्रदान कराते हुए फरमाया कि आज चातुर्मास लगने वाला हैं। पूज्यवर ने चातुर्मास स्थापना पर आध्यात्मिक मंत्रों का सम्मुच्चारण करवाया।
जिनेश्वरों ने मार्ग प्रज्ञप्त किया है, रास्ता बताया है। जीवन में सही मार्ग के चयन का भी बड़ा महत्त्व होता है। मंजिल का तय करना महत्त्वपूर्ण है, फिर मंजिल का रास्ता सही है या नहंीं, उस पर ध्यान देना जरूरी है। मार्ग सही है तो चलते-चलते मंजिल भी मिल सकती है। मनुष्य जीवन की परम मंजिल है- मोक्ष-मुक्ति। मोक्ष के लिये चारित्र का रास्ता स्वीकार किया जाता है। चारित्रात्मा शब्द में सम्यक् ज्ञान, सम्यक् दर्शन, सम्यक् चारित्र और सम्यक् तप चारों ही आ जाते हैं। चारों का योग होने पर मोक्ष का मार्ग बन जाता है। सम्यक् दर्शन नहीं है तो सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र का गुण नहीं होता। आज चातुर्मासिक चतुर्दशी है। इस बार चतुर्दशी को ही चातुर्मास लगा है। इस बार का चातुर्मास पांच महीने का है, इसलिए सवाया है। चारित्रात्माओं के लिए यह स्थिरता का समय होता है। इसमें व्यवस्थित अध्ययन, साधना, तप आदि हो सकते हैं।
श्रावक-श्राविकाओं में भी इक्कीस रंगी तप शुरू हुआ है। संबंधित साधु- साध्वियां प्रेरणा देते रहंे। ज्ञानशाला भी अच्छी चले। प्रेक्षाध्यान, तत्त्वज्ञान की कक्षाएं चल सकती है। संवर एवं दर्शन की आराधना भी होती है। जिनवाणी के प्रति श्रद्धा हो, कषाय मंद हो, तत्त्व की आराधना होती रहे। इस चातुर्मास में 50 साधु और 127 साध्वियां, अनेक समणियां यहां पर हैं।
चातुर्मासकाल में ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप की साधना होती रहे, चातुर्मास अच्छा बीते, यह हमारी कामना है। चातुर्मासकाल का पूरा धार्मिक- आध्यात्मिक लाभ उठाने का प्रयास हो। सबका स्वास्थ्य भी अच्छा रहे इसका भी प्रयास रहे। पूज्यवर ने हाजरी का वाचन किया। इक्कीस रंगी तपस्या से जुड़े तपस्वियों को प्रत्याख्यान करवाये।
आज के कार्यक्रम में अमृत कांठेड़, नरेश मेहता, छत्तर खटेड़ ने अपनी भावना अभिव्यक्ति की। रेणु कोठारी ने गीत के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त की। कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।