आध्यात्मिक उत्कर्ष में आगे बढ़ने का हो प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण
मुंबईवासियों ने ‘उत्कर्ष’ रूपी आध्यात्मिक भेंट श्रीचरणों में की समर्पित
महानगरी मुंबई पर महत्ती कृपा कर आचार्यश्री महाश्रमण जी ने वर्ष 2019 में मर्यादा महोत्सव के अवसर पर मुंबई में वर्ष 2023 के चातुर्मास की घोषणा करवाई थी और उसी दिन से मानो मुंबई का श्रावक समाज एवं मुंबई में विराजित चारित्रात्माओं के मन में अनन्य उत्साह था और उत्साह हो भी क्यों नहीं?
जैन श्वेतांबर तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्यों में से 68 वर्षों के बाद आचार्यश्री महाश्रमण जी मुंबई की धरा पर चातुर्मास करने के लिए पधारने वाले थे। गुरु सन्निधि प्राप्त होना कोई मामूली बात नहीं है, वह पर्याय है आत्मा के उत्कर्ष का। अतः मुंबई का श्रावक समाज इस अति दुर्लभ अवसर का भरपूर लाभ उठाने के लिए तत्पर बना।
प्रेरणा मिली धर्मसंघ के विशिष्ट संत, आगम मनीषी, बहुश्रुत परिषद के संयोजक मुनिश्री महेंद्र कुमार जी सहित मुनिवृंद एवं मुंबई में विराजित चारित्रात्माओं की, इसी का परिणाम था कि मुंबई का विरार श्रावक समाज जुट गया। पूज्यप्रवर को आध्यात्मिक भेंट देकर, आध्यात्मिक स्वागत करने की तैयारी में और इसी तैयारी के रूप में 9 रंगी उत्कर्ष की परिकल्पना बनी। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, मुंबई के तत्त्वावधान में एक अनूठा उपक्रम ‘उत्कर्ष’ दिसंबर, 2019 से मार्च, 2023 तक चला।
आचार्यश्री के समक्ष उत्कर्ष आयोजन की प्रस्तुति दी गई। इस प्रस्तुति में चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, मुंबई के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़ एवं उत्कर्ष के संयोजक रतन सियाल व नरेंद्र तातेड़ ने अपनी अभिव्यक्ति दी। ‘उत्कर्ष परिणाम और प्रभाव’ नामक वीडियो प्रस्तुत किया गया। महिलाओं द्वारा परिसंवाद तथा उत्कर्ष से जुड़े सदस्यों ने गीत की प्रस्तुति दी। मुनि सिद्धकुमार जी ने उत्कर्ष विषय में अवगति प्रस्तुत की।
आचार्यश्री ने इस कार्यक्रम को आध्यात्मिक पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि उत्कर्ष अनेक रूपों में हो सकता है। उत्कर्ष भौतिक और आध्यात्मिक रूप में भी हो सकता है। परम उत्कर्ष तो सिद्धत्व की प्राप्ति होती है। इस कार्यक्रम से जुड़ी सभी संस्थाएँ आध्यात्मिक-धार्मिक गतिविधियों में अपना योगदान देते रहें। आचार्यश्री ने मुनिश्री महेंद्र कुमार जी का स्मरण करते हुए अध्यात्म की दिशा में उत्कर्ष प्राप्त करने की प्रेरणा प्रदान की।
उत्कर्ष के नौ कार्यों को नौ रंगों के माध्यम से जोड़ा गया था तो इससे जुड़ी नौ मनके की माला साध्वी चंदनबाला जी आदि साध्वीवृंद द्वारा बनाई गई थी, जिसे उत्कर्ष से जुड़े चारित्रात्माओं के निवेदन पर मुख्य मुनिश्री ने आचार्यश्री को समर्पित की तो आचार्यश्री ने वह माला मुख्य मुनिश्री के गले में डालकर स्नेहाशीष प्रदान किया। यह दृश्य उपस्थित श्रद्धालुओं को भावविभोर करने वाला था। इस दृश्य को अपनी आँखों से देखकर जनता ने बुलंद स्वर में जयघोष किया।
उत्कर्ष की संक्षिप्त झलकी मुंबई के प्रत्येक क्षेत्र को जोड़ते हुए 9 जॉन का विभाजन हुआ एवं तेरापंथ समाज के प्रत्येक परिवार को इस आध्यात्मिक उत्कर्ष में जोड़ने का प्रयास किया गया। उत्कर्ष कार्यक्रम में 4807 व्यक्तियों ने अपनी सहभागिता दर्ज की। कार्यक्रम से पूर्व आचार्यप्रवर ने आज चतुर्दशी के अवसर पर उपस्थित साधु-साध्वियों को प्रेरणा प्रदान की तथा हाजरी का वाचन किया। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभा जी ने भी अपने उद्बोधन से जनता को प्रेरणा प्रदान की।