बच्चों के निर्माण के लिए मंत्र दीक्षा जरूरी है
कृष्णा नगर, दिल्ली।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी स्वामी के सान्निध्य में मंत्र दीक्षा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने कहा कि बच्चे हमारे परिवार, समाज, धर्मसंघ की निधि है। इनकी सुरक्षा बहुत आवश्यक है। अगर बच्चे संस्कारी होंगे तो केवल बच्चों का ही नहीं परिवार, समाज और धर्मसंघ का भी भविष्य उज्ज्वल बनेगा। पुराने जमाने में दादा-दादी, नाना-नानी बच्चों को नमस्कार महामंत्र वंदन पाठ, मंगल पाठ आचार्यों, तीर्थंकरों के नाम पक्का करा देते, उन्हें कहानियों के माध्यम से धार्मिक संस्कार देते, परंतु आज इस में कमी आई है। पूज्य गुरुदेव आचार्यश्री तुलसी ने देखा कि आज-कल बच्चों में संस्कारों का आभाव होता जा रहा है। उनकी कृपा से ज्ञानशाला का क्रम बन पाया जो आज सुव्यवस्थित रूप बनकर आया है। उसमें आचार्यों, साधु-साध्वियों, समणियों के साथ ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका है, जो बच्चों के निर्माण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।
आचार्यश्री महाश्रमण जी का ज्ञानशालाओं पर विशेष ध्यान रहता है। समय-समय पर ज्ञानार्थियों को समय देकर उन्हें प्रोत्साहित भी करते रहते हैं। कृष्णा नगर के ज्ञानार्थी कई दीक्षार्थी बने हैं, यह क्रम निरंतर चलता रहे, जिससे धर्मसंघ दीर्घ जीवी बना रहे। कार्यक्रम के प्रारंभ में संदीप पुगलिया, शिवं छल्लाणी ने विजय गीत का संगान किया। ज्ञानशाला के सह-संयोजक पारस तातेड़, तेयुप के सहमंत्री शिवं छल्लाणी ने अपने विचार प्रकट किए। मुनिश्री ने बालक-बालिकाओं को मंत्र दीक्षा प्रदान की। कार्यक्रम में देवेंद्र पुगलिया ने नव की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। दो बहनों ने गुप्त अठाई का एक भाई ने गुप्त पंचोले का प्रत्याख्यान किया। मुनि नमि कुमार जी ने 26 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।