तेरापंथ स्थापना दिवस
सिवानी (हरियाणा)।
शासनश्री साध्वी कुंथुश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में तेरापंथ भवन में 264वाँ तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया। मंगलाचरण साध्वी सुमंगलाश्री जी ने गीत से किया। सभाध्यक्ष रतनलाल जैन ने आचार्य भिक्षु के प्रति भावांजलि अर्पित की। साध्वी कुंथुश्री जी ने कहा कि आषढ़ शुक्ला पूर्णिमा तेरापंथ धर्मसंघ के लिए महत्त्वपूर्ण दिन है। आज के दिन तेरापंथ को विलक्षण गुरु मिला था, उसका नाम था-आचार्य भिक्षु। आज गुरु पूणिमा है, गुरु का स्थान भगवान से ऊपर बतलाया है। दोनों की तुलना में गुरु का महत्त्व अधिक है। भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोपरि माना गया है।
आज के दिन तेरापंथ की स्थापना हुई। आचार्य भिक्षु ने कहा कि ‘हे प्रभु यह तेरापंथ’। अहंकार और ममकार विसर्जन का नाम तेरापंथ है। आगे आपने तेरापंथ दर्शन सिद्धांत दया-दान आदि का विवेचन किया। साध्वी सुलभयशा जी एवं साध्वी संबोधयशा जी ने आचार्य भिक्षु के प्रति महत्त्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किए। सरिता बंसल, ऋतु बंसल आदि गीत का संगान किया। कन्या मंडल ने एक रोचक लघु नाटिका के द्वारा आचार्य भिक्षु के प्रति अभिव्यक्ति दी। संघगान के द्वारा कार्यक्रम का समापन हुआ। रात्रि में धम्म जागरणा में संपूर्ण तेरापंथ प्रबोध एवं अन्य सुमधुर गीतिकाओं का संगायन सभी श्रोताओं के लिए आंददायक रहा।