आचार्य भिक्षु के जन्म दिवस एवं बोधि दिवस के विविध आयोजन
साउथ कोलकाता
मुनि जिनेश कुमार जी के सान्निध्य में आचार्यश्री भिक्षु का 298वाँ जन्म दिवस एवं 266वाँ बोधि दिवस कार्यक्रम तेरापंथ भवन में तेरापंथी सभा द्वारा आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेश कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु तेरापंथ धर्मसंघ के संस्थापक थे। वे मरुधर के मंदार, अलबेले योगी, निस्पृह साधक व शांत सुधारस के धनी थे। वे विलक्षण, विशिष्ट, विवेक संपन्न पुरुष थे। उनका जीवन बहुआयामी था। मनिश्री ने आगे कहा कि आज के दिन आचार्यश्री भिक्षु को तत्त्वज्ञान का बीज मिला था। राजनगर की धरती के साथ तेरापंथ के बीज वपन का गौरवशाली इतिहास जुड़ा हुआ है। जैन धर्म में सम्यक् ज्ञान आदि को बोधि कहा गया है। बोधि का अर्थ हैµविवेक चेतना का जागरण।
आचार्यश्री भिक्षु की धर्म क्रांति का पहला कदम आज का यह बोधि दिवस बना है। मुनिश्री ने कहा कि आचार्यश्री भिक्षु का नाम मंत्राक्षर है। आचार्यश्री भिक्षु की शक्ति, श्रद्धा विशिष्ट थी। मुनिश्री ने प्रेरणा के रूप में कहा कि स्वामी जी का जप सबको करना चाहिए। इस अवसर पर मुनि परमानंद जी ने कहा कि आचार्यश्री भिक्षु दृढ़-संकल्प के धनी थे। वे सत्यनिष्ठ एवं संयमनिष्ठ थे। वे शताब्दियों के बाद आज भी जन-जन के श्रद्धा के स्थान बने हुए हैं। इस अवसर पर बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। त्रिदिवसीय ¬ भिक्षु अखंड जप अनुष्ठान एवं 1008 तेला तप अनुष्ठान का भी शुभारंभ हुआ।