करें सेवा पाए मेवा
कोयंबटूर।
डॉ0 साध्वी गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में वृद्धों को चित्त समाधि कैसे दें, इस विषय पर एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। डॉ0 साध्वी गवेषणाश्री जी ने कहा कि व्यक्ति जैसा बीज बोता है, वैसा ही फल पाता है। अपनी आत्मा ही सुख-दुःख का कर्ता है, इसीलिए जो जैसी सेवा करता है, वैसी मेवा उसे प्राप्त होती है। वर्तमान में बूढ़े माँ-बाप को आउट ऑफ डेट माने जाते हैं, वे आउट ऑफ होम में ही सुशोभित हो रहे हैं। उनके पास जो अनुभव का खजाना है सीपियों में मोती की तरह उनके हृदय में आशीर्वाद भी दुआ छिपी हुई है।
साध्वी मयंकप्रभा जी ने कहा कि जीवन तीन भागों में बँटा हुआ है, उसमें तीसरी अवस्था है बुढ़ापा जिसमें अनुभव की संपदा है, ज्ञान की प्रतिष्ठा है और अपनत्व की विशालता है। साध्वी मेरूप्रभा जी ने सुमधुर गीतिका के द्वारा सबको भावविभोर कर दिया। स्वागत भाषण देवीलाल मांडोत ने किया। साध्वी दक्षप्रभा जी ने भावपूर्ण स्वर से गीतिका प्रस्तुत की। उपासिका सुशीला बाफना ने अपने विचार रखे। राजगुरु ट्रस्ट के अध्यक्ष जीतमल ओबानी ने राजगुरु परिवार की ओर से आभार ज्ञापन किया। इस अवसर पर भाई-बहनों की विशेष उपस्थिति रही।