दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

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दो धाराओं का आध्यात्मिक मिलन

सिकंदराबाद।
मारडपल्ली सिकंदराबाद स्थित देवेंद्र नाहटा एवं गौतमचंद गुगलिया के निवास स्थान पर श्रमण संघ के आचार्यश्री शिवमुनिजी के प्रबुद्ध शिष्य युवाचार्य श्री महेंद्र ऋषिजी एवं साध्वी मंगलप्रज्ञा जी का आध्यात्मिक मिलन हुआ। आचार्यश्री महेंद्र ऋषिजी एवं साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के मध्य विविध विषयों पर वार्ता हुई। वार्तालाप के दौरान युवाचार्य महेंद्र ऋषिजी ने कहा कि हमारा तेरापंथ संघ के साथ आत्मीय भाव जुड़ा हुआ है। श्रमण संघ एवं तेरापंथ के आचार्यों ने आने वाले समय के लिए माइलस्टोन तैयार कर दिया है।
दोनों परंपराओं में कहीं कोई आग्रह नहीं है। यह संपूर्ण जगत के लिए प्रेरणा है। साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि अपनी परंपराओं को छोड़ना मुश्किल है, अपना-अपना विजन है पर चिंतनपूर्वक उदारता के साथ आचार्यश्री महाश्रमण जी ने जैन एकता की दृष्टि से जैनों का मुख्य पर्व संवत्सरी सबसे एक ही दिन मनाने का प्रस्ताव रखा था। एकता के लिए महाश्रमण जी ने काफी श्रम किया है। आचार्यश्री महाश्रमण जी और श्रमण संघाचार्य श्री शिवमुनि जी ने आदर्श प्रस्तुत किया है।
यह आध्यात्मिक मिलन भी सकारात्मक, परिचायक, वात्सल्य भाव दर्शा रहा है। तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के मंत्री सुशील संचेती, विहार यात्रा टीम के सदस्य प्रेम बैंगानी, आसकरण सेठिया, प्रमोद भंडारी सहित अनेक गणमान्य जन उपस्थित थे। श्रमण संघ हैदराबाद के अध्यक्ष गौतम गुगलिया ने स्वागत स्वर प्रस्तुत किए।
साध्वीवृंद ने सामूहिक संगान कर प्रसन्नता व्यक्त की। आध्यात्मिक मिलन उपस्थित हर मन को प्रेरणा प्रदान करने वाला था। युवाचार्य ने तेरापंथी आचार्य एवं संत सतियों से जुड़े प्रसंग सुनाते हुए प्रमोद भाव व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने अनेक यात्राएँ कीं हैं। लंबे समय तक समन श्रेणी में रहकर और जैन विश्व भारती यूनिवर्सिटी की वाइस चांसलर पद पर कार्य कर जिन शासन की महान सेवा की है।