आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 104वाँ जन्म दिवस प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाया

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 104वाँ जन्म दिवस प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाया

सिकंदराबाद।
टेक्स्ट बुक कॉलोनी में तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के तत्त्वावधान में आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी का 104वाँ जन्मोत्सव साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी के सानिनध्य में मनाया गया। ‘अभिवंदना-प्रज्ञा के महासूर्य की’ विषय पर साध्वीश्री जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी की अज्ञ से महाप्रज्ञ तक की यात्रा अद्भुत, प्रेरक और प्रणम्य है। वे महान् समाधिपुरुष और समाधिप्रदाता विशिष्ट पुरुष थे। उनका व्यक्तित्व पुरुषार्थ, समर्पण, विवेक, प्रबुद्धता और शांति की गाथाओं से संपृक्त है। वे समर्पण के पुरोधा पुरुष थे। उन्होंने हर मन को अपने करुणा रस से आप्लावित किया। लाखों-करोड़ों व्यक्तियों की समस्याओं को समाहित कर सुख, शांति और आनंद की सौगात दी। साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि आवश्यकता है उस विराट व्यक्तित्व के गुणों को हम जीने का प्रयास करें। विनम्रता के भावों को पुष्ट करके परिवार और समाज में शांत सहवास बनाने का प्रयास करें।
ज्ञानशाला के ज्ञानार्थियों के महाप्रज्ञ अष्टकम की प्रस्तुति से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने ‘महाप्रज्ञ जीवन दर्शन की मनभावन प्रस्तुति दी। तेयुप के अध्यक्ष वीरेंद्र घोषल, महिला मंडल अध्यक्ष अनिता गिरिया, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष प्रकाश भंडारी, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष बाबूलाल बैद ने श्रद्धामय अभिव्यक्ति दी। महिला मंडल द्वारा सास-बहू ग्रुप संगान प्रस्तुत किया। तेरापंथ सभा पूर्व अध्यक्ष करणीसिंह बरड़िया ने साध्वीवृंद, मंच एवं समस्त परिषद का स्वागत किया। राजकुमार सुराणा ने अभिवंदना स्वरूप भावों की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि परिषद के सदस्य पदमचंद पटावरी ने श्रद्धासिक्त विचारों में कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ जी की शासना उच्च काटि की थी।
साध्वी सुदर्शनप्रभा जी, साध्वी सिद्धियशा जी, साध्वी राजुलप्रभा जी, साध्वी चैतन्यप्रभा जी एवं साध्वी शौर्यप्रभा जी ने समूह संगान किया। साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने कहा कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ जी एक ऐसे साधक पुरुष एवं योगी थे। जिन्होंने हमेशा अध्यात्म का अजस्र स्रोत बहाया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभा जी ने किया।