गहन अंधकार में सूर्य के समान थे आचार्य भिक्षु
छापर।
आचार्य भिक्षु का 298वाँ जन्मदिवस एवं 266वाँ बोधि दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम में शासनश्री मुनि विजय कुमार जी ने कहा कि आचार्य भिक्षु गहन अंधकार में सूर्य बनकर अवतरित हुए थे। वे जिस युग में जन्मे थे उस युग में धार्मिक मूल्य दिन-दिन विघटित हो रहे थे। धर्म और अधर्म में बेमेल मिलावट प्रभु महावीर की वाणी को धूमिल कर रही थी। केलवा की अंधेरी ओरी में नई दीक्षा लेकर आचार्य भिक्षु ने अपनी धर्म क्रांति का परचम फहराया। उस गहन अंधकार में जो दुर्लभ बोधि उन्हें प्राप्त हुई वह युगों-युगों तक लाखों-लाखों व्यक्तियों के जीवन को आलोकित करती रहेगी। शासनश्री ने आचार्य भिक्षु की अभ्यर्थना में गीत प्रस्तुत किया।
नमस्कार मामंत्र के उच्चारण के बाद प्रारंभ में तेममं की बहनों ने मंगलाचरण किया। अणुव्रत समिति के संरक्षक प्रदीप सुराणा, सूरजमल नाहटा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष विनोद नाहटा, महिला मंडल अध्यक्ष सरिता सुराणा, गजराज दुधोड़िया ने अपने आराध्य की अभ्यर्थना मे गीत व भाषण के द्वारा अपनी प्रस्तुति दी। संयोजन तेरापंथ सभा चमन दुधोड़िया ने किया।