प्रतिक्रमण कार्यशाला व उपासकों की प्रवेश परीक्षा

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प्रतिक्रमण कार्यशाला व उपासकों की प्रवेश परीक्षा

कृष्णानगर, दिल्ली।
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमल कुमार जी के सान्निध्य में प्रतिक्रमण कार्यशाला आयोजित की गई। मुनिश्री ने प्रतिक्रमण विषयक गीत का संगान करते हुए प्रतिक्रमण का महत्त्व बताते हुए पाँच प्रकार के प्रतिक्रमणों की व्याख्या की। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यप्रकाश शामसुखा ने सरल शैली में प्रतिक्रमण की पाटियों का उच्चारण अर्थ समझाते हुए 99 अतिचारों को विस्तार से समझाया। स्वामीजी के तेरस होने के कारण काफी लोगों ने उपवास का प्रत्याख्यान किया। मुनिश्री ने कहा कि तपस्या आत्मशुद्धि, कर्म निजरा के लिए करनी चाहिए। वनिता की तपस्या आडंबरमुक्त और साधनायुक्त है। तीन माह तक प्रतिदिन 13 माला ओम भिक्षु जय भिक्षु की, तीन महीने निरंतर फेरने से सवा लाख का जाप हो सकता है।
उपासक श्रेणी में भाग लेने वाले भाई-बहनों की लिखित परीक्षा सूर्यप्रकाश सामसुखा ने ली, सभी का उत्साह प्रशंसनीय रहा। सूर्यप्रकाश सामसुखा का साहित्य से सम्मान जीतमल चोरड़िया, कमल गांधी, भूपेंद्र सिंघवी, मनोज सुराणा, प्रेम छल्लानी ने किया। कार्यक्रम का संयोजन हेमराज राखेचा ने किया। कार्यक्रम में तेयुप के परिषद के अध्यक्ष विकास चोरड़िया, महिला मंडल की अध्यक्षा मंजू सोनी सहित काफी महानुभावों ने कार्यक्रम की प्रशंसा की।