किशोरों की शक्ति का अच्छा उपयोग होता रहे: आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

किशोरों की शक्ति का अच्छा उपयोग होता रहे: आचार्यश्री महाश्रमण

तेरापंथ किशोर मण्डल के18वें त्रिदिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन ‘नवोन्मेष- एलिवेटिंग यू’ का  भव्य आयोजन

 
नन्दनवन-मुम्बई, 29 जुलाई 2023
आज अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा आयोजित तेरापंथ किशोर मंडल के त्रिदिवसीय 18वें राष्ट्रीय अधिवेशन के दूसरे दिन मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित मंचीय कार्यक्रम में पूज्य सन्निधि मंे उपस्थित किशोरों को प्रेरणा प्रदान करते हुए परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने फरमाया कि जीवन में कुछ विशेष बनने और करने की उग्र इच्छा होती है। वैसा पुरुषार्थ होता है तो बनने की संभावना हो सकती है। पुरुषार्थ एक करणीय तत्त्व है, जो विवेक और सम्यक्युक्त हो तो आदमी सिद्धि को प्राप्त कर सकता है। 
अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के अंतर्गत किशोर मंडल किशोरों का अच्छा संगठन है।  किशोरों में भी त्याग, संयम, सेवा की भावना है, यह अच्छी बात है। जो किशोर इससे जुड़े हुए हैं, एक नियंत्रण मंे है, अच्छी प्रगति करते हैं, यह उनके जीवन निर्माण की दृष्टि से अच्छी बात हो सकती है। आधुनिक उपकरणों से जुड़े लोगों में आध्यात्मिकता होना भी आवश्यक है वरना भौतिकता गलत रास्ते पर ले जा सकती है। किशोरों में अच्छे संस्कार पुष्ट हों। अच्छी पीढ़ी का निर्माण होने से धर्मसंघ की अच्छी सेवा कर सकते हैं। 
आचार्यश्री भिक्षु द्वारा रचित पुराने चार गीत हैं उनको याद करने का प्रयास करें। इनसे गहरा तात्त्विक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मुनि दिनेश जी, मुनि योगेश जी इनको समझाने का प्रयास करें। किशोरों में उत्साह-मैत्री की भावना रहे, निडरता रहे। किशोरों का लंबा जीवन होता है, समस्याएं आ जायें तो शांति से उनका निवारण हो। जीवन में संतुलन-प्रसन्नता रहे। किशोरों की शक्ति का अच्छा उपयोग होता रहे। अभातेयुप द्वारा किशोरों का निर्माण कर उन्हें कुछ देने का प्रयास किया जा रहा है। किशोरों का अच्छा विकास होता रहे साथ में धार्मिक संस्कार भी पुष्ट होते रहंे।
स्थूल हिंसा से बचने का
हो प्रयास
साधना के शिखर पुरुष आचार्यश्री महाश्रमणजी ने मंगल देशना प्रदान कराते हुए फरमाया कि भगवती सूत्र के आठवें शतक में कहा गया है- आठ कर्मों में पांचवा कर्म आयुष्य कर्म है।  आयुष्य चार प्रकार का होता है- नरक आयुष्य, तिर्यन्च आयुष्य, मनुष्य आयुष्य और देव आयुष्य। जीव के नरक गति के आयुष्य बंध के प्रमुख पांच कारण बताये गये हैं- महाआरंभ, महापरिग्रह, मांसाहार, पंचेन्द्रिय वध एवं नेरियक आयुष्य नाम कर्म का उदय। हमारी चेतना में विकृतियां हो जाती है। हिंसा और परिग्रह जब सघनता को प्राप्त होते हैं तब वे नरक आयुष्य बंध के कारण बन सकते हैं। जहां बहुत ज्यादा जीवों का घात होता है, आवेशवष व्यक्ति पंचेंद्रिय प्राणियों को मार देता है, यह सब हिंसा के रूप है। शिकार कर या गलत कार्य कर खुशी न मनाएं बल्कि उसके लिए खेद-प्रायश्चित करें। अहिंसा परम धर्म है। स्थूल हिंसा से बचने का प्रयास करें। मांसाहार परिवर्जनीय है। शाकाहार में जीव हिंसा तो होती है पर मांसाहार में तो पंचेन्द्रिय जीव का वध होता है। जहां मांसाहार होता है, वहां से दूर रहें। अनावश्यक संग्रह न हो। बच्चों को पढ़ने के लिये हॉस्टल आदि में बाहर भेजते समय ध्यान रखना चाहिये कि वहां नॉनवेज खाना तो नहीं बनता है। ऐसी जगह भेजना से बचना चाहिए। जहां मांसाहार शाकाहार साथ में बनता हो वहां खाने से ही बचना चाहिए। परिग्रह के प्रति आसक्त न रहें। जमींकंद को जितना हो सके, छोड़ने का प्रयास करें। रात्रि भोजन से बचें। इससे हिंसा का अल्पीकरण हो सकता है। भ्रूण हत्या से बचंे तो पाप कर्म कम लगेंगे। यह सभी हिंसा के अल्पीकरण के माध्यम हैं, ताकि पाप कर्मों के बंधन से कुछ बचाव हो सके। परम पावन ने कालूयशोविलास का सुमधुर वाचन कराते हुए पूज्य कालूगणी के सान्निध्य में हो रहे दीक्षा समारोह में आये पुलिस अधिकारियों द्वारा की गई जांच के प्रसंग को व्याख्यायित किया। 
पूज्यवर ने मासखमण की तपस्या करने वाले चंद्रप्रकाश मेहता को 29, दिशांत ढ़ेलड़िया को 28, नेहा को  29, सुशीला भटेरा को 29, पुष्पा देवी कोठारी को 28, पुष्पा सोलंकी को 29, विकास हिरण को 29 एवं कृष्णा सेमलानी को 29 की तपस्या के प्रत्याख्यान करवाये। मासखमण के अतिरिक्त अन्य तपस्वियों- रमेश सूर्या, कान्ता राठौड, हर्षा लोढ़ा, हीरालाल संकलेचा, लीला धाकड़, बालचंद कोठारी को धारणानुसार प्रत्याख्यान करवाये। 
मुख्य मुनिश्री ने फरमाया कि किशोरावस्था में किशोरों को आगे के जीवन का निर्णय करना होता है। अध्ययन, आजीविका के साथ कुछ हलुकर्मी किशोर आध्यात्मिक जीवन की ओर आगे बढ़ते रहें। भविष्य निर्माण के साथ चरित्र का भी निर्माण हो। सतत जागरूक रहें। स्वयं के विवेक को जागृत रखें। विवेकी व्यक्तित्वों का मार्गदर्शन भी आत्मसात करें, तभी जीवन में नवोन्मेष घटित हो सकेगा। 
अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज डागा एवं तेरापंथ किशोर मंडल के राष्ट्रीय संयोजक विशाल पितलिया ने अपनी भावना व्यक्त की। किशोरों ने 10 दान की ढ़ाल का सुमधुर संगान किया। किशोर मंडल थीम सॉन्ग की भी प्रस्तुति हुई।  कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि दिनेशकुमारजी ने किया।