बारह व्रत कार्यशाला एवं सम्यक दर्शन कार्यशाला का हुआ मंगल प्रारंभ

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बारह व्रत कार्यशाला एवं सम्यक दर्शन कार्यशाला का हुआ मंगल प्रारंभ

उधना
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनि उदितकुमारजी के सान्निध्य में उधना में चल रही पच्चीस बोल कार्यशाला का समापन बारह व्रत कार्यशाला एवं सम्यक दर्शन रात्रिकालीन कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इसमें विशाल संख्या में भाई बहन संभागी बन रहे हैं। कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर मुनिश्री ने अपने प्रेरक उद्बोधन में बताया- ‘मनुष्य भोग से नहीं किंतु त्याग से महान बनता है। मानव जीवन मिलना दुर्लभ बताया गया है। मानव जीवन मात्र भोग भोगने के लिए नहीं मिला है। अनेक भवों के सत्कर्मों एवं साधना के पश्चात मानव जीवन मिलता है। इसका उपयोग सेवा, सत्संग, परोपकार जैसे कार्यों में एवं धर्म आराधना करने में करना चाहिए।दुर्लभ मानव जीवन को मूल्यवान वही व्यक्ति बना सकता है जिसके जीवन में त्याग, प्रत्याख्यान है, छोटे-छोटे व्रतों को जो धारण करता है। त्याग प्रत्याख्यान के बिना सम्यकत्व भी नहीं मिलता और सम्यक्त्व के बिना मोक्ष प्राप्ति संभव नहीं है।’
मुनि अनंतकुमारजी ने प्राग उद्बोधन में मनुष्य को आत्म प्रशंसा से दूर रहकर आत्म खोज करने का एवं परनिंदा के स्थान पर आत्म आलोचना करने की सीख दी। मुनि ज्योतिर्मयकुमारजी ने सुंदर कथानक द्वारा जीवन को उर्ध्वगामी बनाने की प्रेरणा दी। मुनि रम्यकुमारजी ने जैन रामायण की गाथाओं की मधुर प्रस्तुति की। तेरापंथ महिला मंडल की मंत्री ने उधना कन्या मंडल को राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त पुरस्कारों की जानकारी दी। भीलवाड़ा में 56 दिन की संथारा साधना के साथ देवलोक गमन करने वाले मुनि शांतिप्रियजी की श्रद्धा, समर्पण और संघसेवा का विशेष उल्लेख करते हुए मुनिश्री ने उनकी दिवंगत आत्मा के प्रति आध्यात्मिक मंगल कामना व्यक्त की। दिवंगत मुनि शांतिप्रियजी की संसारपक्षीय पौत्री नीलम बाफना ने अपने श्रद्धसिक्त भावों की प्रस्तुति दी।