संयम की चेतना जगाने का समय है चातुर्मास

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संयम की चेतना जगाने का समय है चातुर्मास

सिकंदराबाद
तेरापंथ भवन के प्रांगण में चातुर्मासिक पक्खी के अवसर पर साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञा जी ने कहा कि अध्यात्म पिपासु हर व्यक्ति चातुर्मास की चातक की तरह प्रतीक्षा करता है। पाँच पर्व तिथियों में चतुर्दशी का महत्त्व होता है और उसमें भी चातुर्मासिक चतुर्दशी का भी विशेष महत्त्व होता है। साध्वीश्री जी ने कहा कि यह समय बीतता जा रहा है, इसलिए हर क्षण का जागरूकता से उपयोग होना चाहिए। चातुर्मास का समय ज्ञान, ध्यान, तप, स्वाध्याय की आराधना का पवित्र समय होता है। त्याग के पथ पर आगे बढ़ने का दृढ़ संकल्प हो। चातुर्मास का समय हमारे भीतर संयम की चेतना जागृत करने का समय है।
हाजरी वाचन के अंतर्गत साध्वीश्री जी ने कहा कि मर्यादा हमारे लिए लक्ष्मण रेखाएँ हैं। एक गुरुनिष्ठा, एक गुरु आज्ञा हमारा प्राण है। चार तीर्थ की संभाल एकमात्र गुरु करते हैं। साध्वीश्री जी ने कहा कि तेरापंथ का श्रावक समाज भी गुरुदृष्टि की आराधना करता है। हम सौभाग्यशाली हैं हमें तेरापंथ जैसा धर्मसंघ मिला है। तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद अध्यक्ष बाबूलाल बैद ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया। तेरापंथ सभा द्वारा तपस्वी भाई नमन का सम्मान किया गया। साध्वीश्री जी की प्रेरणा से तेरापंथ भवन में त्रिदिवसीय 13 घंटे का जप अनुष्ठान का आयोजन किया गया।
ज्ञानशाला प्रशिक्षिकाओं ने गीत का सामूहिक संगान किया। अंजु बैद ने संपर्क पखवाड़ा की जानकारी दी। साध्वी चैतन्यप्रभा जी ने कहा कि हर व्यक्ति धर्माराधना करे, अपने चिंतन को सही तरीके से इस्ेमाल करे। चातुर्मास में हर व्यक्ति का मन अध्यात्म साधना की सौरभ से खिलता रहे। अठाई तप साधक नमन दुगड़ को पारिवारिक जनों ने गीत के द्वारा बधाई दी। साध्वीवृंद ने सामूहिक गीत के द्वारा चातुर्मास काल का लाभ लेने हेतु परिषद से आह्वान किया एवं तपस्वी नमन के तप का अनुमोदन किया। कार्यक्रम का संचालन साध्वी डॉ0 राजुलप्रभा जी ने किया।