महासभा है तेरापंथ समाज की सर्वाेपरि संस्था : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

महासभा है तेरापंथ समाज की सर्वाेपरि संस्था : आचार्यश्री महाश्रमण

‘संस्था शिरोमणी’ तेरापंथी महासभा द्वारा तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन- 2023 का भव्य आयोजन 

 
13 अगस्त 2023 नंदनवन मुम्बई
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, युगप्रधान, महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि एवं तेरापंथ धर्मसंघ की ‘संस्था शिरोमणि’ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के तत्त्वावधान में 13-14-15 अगस्त, 2023 को नंदनवन, मुंबई (महाराष्ट्र) में त्रिदिवसीय ‘तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन’ का विराट आयोजन हुआ। 13 अगस्त को प्रात: आचार्य प्रवर के मंगल मुखारविंद से मंगलपाठ का श्रवण कर त्रिदिवसीय सम्मेलन का भव्य शुभारम्भ हुआ। इस सम्मेलन में देश-विदेश की 396 सभाओं एवं 33 उपसभाओं के करीब 1470 प्रतिनिधि पूज्य सन्निधि में उपस्थित रहे। क्षेत्र संख्या और संभागी संख्या की दृष्टि से इस सम्मेलन में अब तक की सर्वाधिक संख्याएं रही। 
प्रेरणा सत्र में आचार्यप्रवर ने सहभागी प्रतिनिधियों को अपनी अमृतवाणी से मंगल पाथेय प्रदान करते हुए  फरमाया कि श्रावक सामान्य गृहस्थ नहीं होता बल्कि वह साधुओं का उपासक होता है। श्रमण की उपासना करने वाला श्रावक होता है। श्रावक की जीवन शैली त्याग, संयम और सादगी से परिपूर्ण होनी चाहिए। जीवन में सदाचार का प्रवास हो। श्रावक को प्रतिदिन नमस्कार महामंत्र का जप करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्य प्रवर ने अपने उद्बोधन में कहा कि महासभा के द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिनमें ज्ञानशाला प्रमुख है। 
ज्ञानशाला भावी पीढ़ी को संस्कारित बनाने का बहुत महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। संस्कार निर्माण शिविर के माध्यम से संस्कारों के संप्रेषण का अच्छा और सशक्त कार्य हो रहा है। इन उपक्रमों के माध्यम से धर्म और संयम की जानकारी बचपन से दी जाती है तो बच्चे जीवन में अनेक बुराइयों से बच सकते हैं। अवस्था के अनुसार श्रावक अपने आप में बदलाव लाने का प्रयास करे और जितना संभव हो सके, समाज, धर्म और आत्म कल्याण का प्रयास करता रहे। 
श्रावक अपने जीवन के अंतिम मनोरथ को भी सिद्ध करने का प्रयास करे। ज्ञानशाला व संस्कार निर्माण शिविर बच्चों में अच्छे संस्कार देने वाले उपक्रम है। किशोर मंडल से भी युवा-बच्चों को अच्छे संस्कार मिलते हैं। गुरुदेव तुलसी के समय प्रारंभ हुए यह उपक्रम बड़े उपयोगी हैं। उपासक श्रेणी भी समाज के लिए कितनी उपयोगी है। दूसरों को कितना बताने का, समझाने का कार्य करते हैं। धर्म की साधना कराने में सहयोगी बनते हैं। शनिवार की समायिक में भी श्रावक समाज..... जागृत है। 
साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने प्रतिनिधियों को उद्बोधन प्रदान करते हुए तेरापंथ धर्मसंघ की श्रीवृद्धि में श्रावक-श्राविकाओं के योगदान का उल्लेख किया। उन्होंने श्रावक के लिए करणीय और अकरणीय की जानकारी दी। उन्होंने श्रावक के चार प्रकारों का उल्लेख किया - आराधक श्रावक, कार्यकर्त्ता श्रावक, प्रभावक श्रावक और विकास योगी श्रावक। प्रमुखाश्रीजी ने कहा कि श्रावक वह होता है,  जिसका आचार शुद्ध होगा, जिसकी देव, गुरु, धर्म के प्रति गहरी श्रद्धा होती है। श्रावक के जीवन में श्रद्धा का प्रकर्ष होना चाहिये।
शुभं भूयात् सत्र में परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर से मंगलपाठ श्रवण करने के उपरांत कार्यक्रम का प्रारंभ सभा गीत से हुआ। तत्पश्चात महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन-2022 के शुभारंभ की घोषणा की एवं श्रावक निश्ठा पत्र का वाचन किया। आचार्यश्री महाश्रमण चतुर्मास व्यवस्था समिति, मुंबई के अध्यक्ष मदनलाल तातेड़, तेरापंथी सभा- मुंबई  के कार्याध्यक्ष नवरतन गन्ना, महासभा के पूर्व अध्यक्ष किशनलाल डागलिया ने समागत प्रतिनिधियों के स्वागत में वक्तव्य दिये।
इस सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित मीरा भायंदर नगरपालिका के पूर्व आमदार नरेन्द्र एल. मेहता ने अपने प्रेरक वक्तव्य में कहा कि जीवन में जनकल्याण के कार्य हों, जिनशासन का कार्य हो, समाज की उपलब्धि बढ़े, समाज आगे बढ़े इसके लिए हमें गुरु चरणों में आकर यहाँ से कुछ न कुछ लेकर जाना चाहिये, यही गुरु के प्रति सच्ची श्रद्धा और भक्ति हो सकती है। महासभा के महामंत्री विनोद बैद ने तेरापंथी सभा प्रतिनिघि सम्मेलन की प्रस्तावना एवं भूमिका प्रस्तुत की।  
आध्यात्मिक प्रशिक्षण सत्र में मुनि कुमारश्रमणजी ने ‘जैन धर्म महान क्यों’ विषय पर प्रभावी प्रशिक्षण प्रदान करते हुए जैन धर्म के सिद्धांत, फिलॉस्फी, मान्यताएं आदि को विस्तृत रूप में परिभाषित करते किया एवं विषय के संदर्भ में समागत प्रतिनिधियों की जिज्ञासाओं का भी सटीक समाधान प्रस्तुत किया। 
‘सभाओं का सम्यक संचालन’ विषय पर आयोजित सत्र में महासभा के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनिश्री विश्रुत- कुमारजी ने उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि यहां जो प्रतिनिधि आये हैं उनमें उत्साह एवं जिज्ञासा का माहौल है। सभी प्रतिनिधि कुछ जानना चाहते हैं, समझना चाहते हैं। उनमें कुछ नया करने की भी भावना है। मुनिश्री ने सभा प्रतिनिधियों को सभाओं के सम्यक संचालन हेतु करणीय कार्यों, उनकी कार्य विधि, रिर्पाेटिंग, गति-प्रगति की समीक्षा आदि के विषय मंे प्रभावी प्रशिक्षण प्रदान किया। 
‘महासभा-सभा आयाम’ विषय पर जिज्ञासा-समाधान सत्र में सोहनराज चोपड़ा ने ज्ञानशाला, सूर्यप्रकाश श्यामसुखा ने उपासक श्रेणी, विकास पुगलिया, विकी सिंघवी, समीर वकील एवं आलोक भंसाली ने तेरापंथ नेटवर्क, हीरालाल मालू, जसराज मालू एवं धर्मेन्द्र चोरड़िया ने तेरापंथ भवन निर्माण परियोजना, पुष्पा बैंगानी ने जैन भारती, संजय खटेड़ ने विज्ञप्ति, कुमुद कच्छारा ने बेटी तेरापंथ की, मर्यादा कुमार कोठारी ने स्मारक सुरक्षा प्रकोष्ठ, सुरेशचन्द गोयल ने आचार्य महाप्रज्ञ समाधि स्थल एवं महाप्रज्ञ दर्शन म्युजियम के संबंध में प्रस्तुतियां दी एवं प्रतिनिधियों द्वारा प्रस्तुत जिज्ञासाओं को समाहित किया। महामंत्री विनोद बैद ने सभाओं के सम्यक संचालन हेतु तेरापंथी सभा संचालन मार्गदर्शिका पुस्तक के विषय में प्रशिक्षण प्रदान किया।
रात्रिकालीन सत्र में ‘सभा आपके द्वार- क्यों आवश्यक है’ विषय पर महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने वक्तव्य देकर सभाओं को अपने-अपने क्षेत्रों में परिवारों की सार-संभाल हेतु प्रेरित किया। संगठन मंत्री प्रकाश डाकलिया ने सभा आपके द्वार यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बिन्दुओं एवं इस अभियान की सफलता के बिन्दुओं पर अपना वक्तव्य दिया। शैलेन्द्र बोरड़ एवं राजेश कुमार दुगड़ ने सभा आपके द्वार के अंतर्गत किए गए कार्यों की रिपोर्टिंग की आवश्यकता के संदर्भ में अवगति दी। ‘सभाओं में वैधानिक व्यवस्थाएं’ विषय पर महासभा के उपाध्यक्ष विजय कुमार चोपड़ा, संजय खटेड़ एवं महामंत्री विनोद बैद ने विस्तृत जानकारी प्रदान की। 
रात्रिकालीन प्रशिक्षण सत्र में मुख्यमुनिश्री महावीरकुमारजी ने प्रतिनिधियों को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि तेरापंथ धर्मसंघ प्राप्त करके हम सब सौभाग्य की सराहना करते हैं। महासभा तेरापंथ  समाज की संस्था शिरोमणि है। महासभा के द्वारा ज्ञानशाला, उपासक श्रेणी, संस्कार निर्माण शिविर आदि अनेकानेक गतिविधियां संचालित की जा रही है। मुख्यमुनिप्रवर ने उपस्थित प्रतिनिधियों को सम्यगदर्शन के आठ बिंदुओं- निरूशंका, निष्कांक्षा, निर्वि- चिकित्सा, अमूढ़ दृष्टि, उपगूहन, स्थिरीकरण, वात्सल्य और प्रभावना के बारे में विस्तृत जानकारी दी। 
‘जिज्ञासाएं प्रतिनिधियों की: समाधान युगप्रधान गुरूवर का’ सत्र में परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी स्वयं तीर्थंकर समवसरण में पधारे। प्रतिनिधियों द्वारा लिखित रूप में की गई जिज्ञासाओं का वाचन महासभा के महामंत्री विनोद बैद ने किया और आचार्य प्रवर ने प्रतिनिधियों की जिज्ञासाओं को समाहित किया। अपने आराध्य के श्रीमुख से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान प्राप्त कर प्रतिनिधि सौभाग्य की अनुभूति कर रहे थे। 
द्वितीय दिवस: 14 अगस्त. 2023
त्रिदिवसीय तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के द्वितीय दिवस के मंचीय कार्यक्रम में शांतिदूत युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने समागत प्रतिनिधियो को संबोध प्रदान करते हुए फरमाया कि सृष्टि में दो प्रकार की व्यवस्थाएं बताई गई हैं। एक व्यवस्था जहां कोई मुखिया नहीं होता, वहां सभी अपने-अपने कार्य स्वतः संपादित करते हैं। दूसरी व्यवस्था होती है जहां परिवार, समाज, संगठन, संस्था अथवा राष्ट्र का कोई न कोई मुखिया होता है। कोई विधान, संविधान, मर्यादा, व्यवस्था, नियम आदि होते हैं, जिसके माध्यम से व्यवस्थाएं सकुशल रूप में संचालित की जाती हैं। इस सभी तंत्रों व व्यस्थाओं का एक ही लक्ष्य होता है कि इससे जुड़े हुए लोग सुखी रहें, व्यवस्थाएं सुचारू चलें और उनकी सुरक्षा, सुविधा आदि के द्वारा सार-संभाल होती रहे व विकास होता रहे। 
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ में भी शासन, विधान, मर्यादा व व्यवस्था के लिए संहिताएं और मर्यादावली आदि बने हुए हैं। चारित्रात्मा समुदाय के लिए अनुशासन संहिता निर्धारित की गई है तो गुरुकुलवासी चारित्रात्माओं के लिए एक अलग अनुशासन संहिता बनी हुई है। साधु के लिए मर्यादावली भी है। श्रावक समाज के लिए श्रावक संदेशिका के माध्यम से मर्यादा, व्यवस्थाएं निर्धारित की गई हैं। धर्मसंघ की संस्थाओं के लिए भी नियम हैं। हमारे धर्मसंघ में अनेक संस्थाएं हैं, उनमें से एक है जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा। इसका शुभारम्भ पूज्य कालूगणी के समय हुआ था। इस संस्था को बने हुए सौ वर्षों से अधिक का समय हो गया। तब लेकर अब तक महासभा ने खूब विकास किया है। महासभा का समाज में अपना वर्चस्व है।
महासभा के तत्त्वावधान में बहुत से अच्छे कार्य सुन्दर रूप में हो रहे हैं। केन्द्रीय स्तर पर महासभा तो क्षेत्रीय स्तर पर महासभा के छोटे रूप में सभाएं हैं। स्थानीय स्तर पर क्षेत्रों में संभाएं जिम्मेवार होती हैं। महासभा का कितना बड़ा सामाजिक जिम्मा है। कितना भी बड़ा कार्य हो महासभा को निर्धारित किया जा सकता है। महासभा तेरापंथ समाज की सर्वाेपरि संस्था है। तेरापंथ समाज को महासभा जैसी संस्था का प्राप्त होना मानों सौभाग्य की बात है। मैंने तेरापंथी महासभा को ‘संस्था शिरोमणि’ कहा था। मेरा मानना है कि महासभा को संस्था शिरोमणि कहना सार्थक है। 
महासभा के नेतृत्व में इतना विराट अधिवेशन हो रहा है। सभी सभाएं और प्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों मंे पूर्ण जागरूकता रखें। हमारी चारित्रात्माएं क्षेत्रों में खूब धार्मिक जागरणा करती रहें। महासभा खूब अच्छा विकास करती रहे।
महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने अपने डेढ़ वर्ष के कार्यकाल की गति-प्रगति की जानकारी प्रदान की। उन्होंने महासभा की विभिन्न गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए समागत प्रतिनिधियों से आह्वान किया कि वे इन सभी समाजोपयोगी गतिविधियों में यथासंभव सहभागिता एवं सहयोग का लक्ष्य अवश्य बनायें। 
प्रधान न्यासी सुरेशचन्द गोयल ने अपना वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि महासभा द्वारा संचालित अक्षय निधि कोष के सुदृढ़ीकरण, महाप्रज्ञ दर्शन म्युजियम, महाश्रमण कीर्तिगाथा एवं दर्शक दीर्घा, तेरापंथ विश्व भारती, महासभा की आर्थिक सुदृढ़ता आदि के बारे में जानकारी प्रदान की। समागत प्रतिभागियों को जागरूकता के लिए एक छोटा वीडियो क्लिप भी प्रस्तुत किया गया।
दोपहर के सत्र में बहुश्रुत परिषद के सदस्य मुनि दिनेशकुमारजी ने प्रतिनिधियों को आध्यात्मिक प्रशिक्षण प्रदान करते हुए जीवन में अध्यात्म के महत्व, प्रकार, लाभ आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। 
तेरापंथ और तेरापंथ से संबंधित ट्रस्ट/संस्थाओं के बारे में महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया एवं महामंत्री विनोद बैद ने समुचित जानकारी प्रदान करते हुए तेरापंथ एवं तेरापंथ के आचार्यों के नाम से संचालित ट्रस्ट/संस्थाओं के महासभा के साथ एफिलियेशन की आवश्यकता पर बल दिया। ‘कैसे हो नेतृत्व चयन एवं दायित्व हस्तांतरण’ विषय पर महासभा पदा- धिकारी-गण ने अपने वक्तव्य प्रस्तुत किये।
रात्रिकालीन सत्र में श्रावक संदेशिका की विभिन्न संबंधित धाराओं के प्रति जागरूकता वृद्वि की दृष्टि से ‘श्रावक संदेशिका: चित्रों में बोध’ विषय पर पीपीटी के माध्यम से प्रश्नात्मक प्रस्तुतिकरण किया गया। अनेक सदस्यों ने चित्रों के बारे में पूछे गये प्रश्नों का सही उत्तर प्रस्तुत किया। सभी प्रश्नों की संबंधित धारा को एलईडी स्क्रीन पर दर्शाते हुए समझाया गया। प्रेरक प्रशिक्षण के अंतर्गत मुनिश्री कुमारश्रमणजी ने महासभा पदाधिकारियों की जिज्ञासाओं को समाहित किया। 
तृतीय क्ष्विस: 15 अगस्त 2023
प्रेरणा सत्र में परम श्रद्धेय आचार्यश्री महाश्रमणजी ने तेरापंथी सभा प्रतिनिधि सम्मेलन के अंतिम दिन संभागियों को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि कार्य- कर्ताओं व चारित्रात्माओं को व्यक्तित्व विकास का प्रयास करना चाहिए। कितने- कितने कार्यकर्ता धर्मसंघ की सेवा करने वाले हैं। अपने धर्मसंघ के साथ-साथ दूसरों की जितनी सेवा हो सके, करने का प्रयास करना चाहिए। तेरापंथ की सभी संस्थाएं अच्छे कार्यकर्ताओं के व्यक्तित्व विकास के लिए कार्यशाला आदि का भी आयोजन कर सकते हैं और नए-नए कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान किया जा सकता है। जो अच्छे कार्यकर्ता हैं, उनके साथ रहकर भी कुछ अच्छा सीखा जा सकता है। 
साध्वीवर्या संबुद्धयशाजी ने जीवन विकास में राग के विभिन्न रूपों का उल्लेख करते हुए कहा कि हममें संघ के प्रति, गुरु के प्रति अनुरक्ति होनी चाहिए, जो संघ की श्रीवृद्धि में योगभूत बनती रहे। इसके लिए हम राग, पाप से मुक्त होने का प्रयास करें और अपनी आत्मा को निर्मल बनाने का प्रयास करें।  
तृतीय व अंतिम दिवस के समापन सत्र में परम श्रद्धेय आचार्य प्रवर की सन्निधि में आयोजित कार्यक्रम में महासभा अध्यक्ष मनसुखलाल सेठिया ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए बृहत, मध्यम एवं लघु श्रेणी की सभाओं में श्रेष्ठ, उत्तम एवं विशिष्ट पुरस्कार तथा उपसभाओं में श्रेष्ठ, उत्तम एवं विशिष्ट पुरस्कार प्राप्त क्षेत्रों के नामों की घोषणा की। 
समागत सभाओं व उपसभाओं के साथ महासभा का संभागानुसार संवाद का क्रम भी काफी उपयोगी सिद्ध हुआ।
सम्मेलन की विभिन्न व्यवस्थाओं में सहयोग प्रदान करने हेतु आचार्यश्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति, मुंबई एवं तेरापंथी सभा, मुंबई को मोमेंटो से सम्मानित किया गया। चयनित श्रेष्ठ, उत्तम, विशिष्ट सभा एवं उपसभा को मोमेंटो प्रदान कर सम्मानित किया गया। 
विभिन्न सत्रों में कार्यक्रम का संचालन महासभा के महामंत्री विनोद बैद, उपाध्यक्षगण नेमचंद बैद, सुमन नाहटा, अशोक कुमार तातेड़, विजयराज मेहता, नरेन्द्र कुमार नखत, सहमंत्री अनिल चण्डालिया, आलोक भंसाली तथा कृतज्ञता ज्ञापन न्यासी बाबूलाल बोथरा ने किया।