अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष के अन्तर्गत अणुव्रत सेमिनार का आयोजन

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अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष के अन्तर्गत अणुव्रत सेमिनार का आयोजन

कोलकाता
अणुव्रत अमृत महोत्सव के अंतर्गत अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के तत्त्वावधान में मुनि जिनेशकुमारजी के सान्निध्य में अणुव्रत सेमिनार (राज्यस्तरीय) का आयोजन कला मंदिर में अणुव्रत समिति, कोलकाता द्वारा आयोजित किया गया। सेमिनार का विषय था- ‘आजाद भारत की प्रगति में अणुव्रत का योगदान।’ सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, उनकी धर्मपत्नी अनीता कटारिया व गरिमामयी उपस्थिति के रूप में अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर उपस्थित थे। इस अवसर पर अणुविभा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रताप दुगड, महामंत्री भीखम सुराना, अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन, अणुविभा मीडिया से विरेन्द्र बोहरा, अणुविभा सदस्य विकास दुगड़ सहित अणुव्रत समिति के पदाधिकारी, सदस्य व विभिन्न संस्थाओं के गणमान्य व्यक्ति अच्छी संख्या में विशेष रूप से उपस्थित थे।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा- ‘भारत की आजादी का अमृत काल चल रहा है और अणुव्रत आन्दोलन का भी अमृत महोत्सव वर्ष चल रहा है। भारत निरन्तर प्रगति कर रहा है । प्रगति जब सिर्फ भौतिक होती है तब वह विनाश की ओर अग्रसर होती है और प्रगति जब नैतिक होती है तब वह राष्ट्र की समृद्धि व सुख-शांति का कारण बन जाती है। राष्ट्रसंत आचार्य श्री तुलसी ने भारत को नैतिक प्रगति व मूल्यों से समृद्ध करने हेतु 1 मार्च 1949 को अणुव्रत आन्दोलन का सूत्रपात किया। जाति, सम्प्रदाय, प्रान्त आदि से ऊपर उठकर नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा वाला यह आन्दोलन हरिजन की झोपड़ी से लेकर राष्ट्रपति भवन तक पहुंचा है।’
मुनि जिनेशकुमारजी ने आगे कहा- ‘अणुव्रत एक आचार संहिता ही नहीं अपितु पूरा जीवन दर्शन है। अणुव्रत का अर्थ है-छोटे-छोटे नियम। आचार्यश्री महाश्रमणजी अणुव्रत यात्रा पर हैं। पूज्यवर की पावन प्रेरणा से एक करोड़ से भी अधिक लोगों नेे नशामुक्ति का संकल्प स्वीकार किया है। अणुव्रत जीवन का दर्शन है। अणुव्रत जैन नहीं गुडमैन बनाता है। अणुव्रत क्रियाकाण्डों पर नहीं बल्कि चारित्र‌ शुद्धि पर ध्यान देता है। सद्‌भावना, नैतिकता व नशामुक्ति का विकास ही जीवन को समृद्धि की ओर अग्रसर करता है। अणुव्रत नैतिक चेतना का अग्रदूत, मानवीय एकता का प्रतीक, एक सुरक्षा कवच और ज्वलंत समस्याओं का समाधायक है। अणुव्रत शाश्वत सत्य व मानवता का शुभ भविष्य है, धर्म और व्यवहार का सेतु है। आज पूरा विश्व हिंसा से ग्रसित है, अणुव्रत हिंसा का समाधान अहिंसा के रूप में प्रस्तुत करता है। आज देश को अणुबम नहीं अणुव्रत की आवश्यकता है।’
मुख्य अतिथि असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया ने अपने प्रभावी वक्तव्य में कहा- आजादी के 75 वर्षों में देश ने प्रगति की है अगर प्रगति के साथ नैतिकता जुड़ जाए तो चार चाँद लग सकते हैं। आचार्यश्री तुलसी ने सन् 1949 में अणुव्रत का पावन संदेश इस देश को दिया। उनके अणुव्रत गीत में यह संदेश दिया गया है कि व्यक्ति सुधार से समाज सुधार और समाज सुधार से राष्ट्र का सुधार संभव है। अणुव्रत गीत सबके लिये एक प्रार्थना होनी चाहिए। इसकी एक पंक्ति ‘संयममय जीवन हो’ को ही अपना लंे तो हमारे जीवन का उत्थान संभव है। मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी और आचार्यश्री महाश्रमणजी के चरणों में बैठने का अवसर मिला है। उन सभी का हमारे पर बहुत ऋण है। मैं भी अणुव्रत के संकल्पों को निभाने का प्रयास करूंगा। सभी अणुव्रत के द्वारा समाज सुधार का प्रयत्न करते रहें।
अणुविभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अविनाश नाहर ने अणुव्रत के संदर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए राज्यपाल महोदय से राजभवन में अणुव्रत पट्ट स्थापित करने हेतु आग्रह किया। अणुव्रत अमृत महोत्सव वर्ष के राष्ट्रीय संयोजक संचय जैन ने अणुव्रत अमृत महोत्सव के सन्दर्भ में अपने विचार व्यक्त करते हुए अणुव्रत की महत्ता पर प्रकाश डाला। बाल मुनि कुणालकुमारजी ने ‘बदले युग की धारा’ गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ अणुव्रत समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा ‘संयममय जीवन हो’ गीत द्वारा मंगलाचरण से हुआ। स्वागत भाषण अणुव्रत समिति कोलकाता के अध्यक्ष प्रदीप सिंधी ने दिया। अणुव्रत आचार संहिता का वाचन मुनि जिनेशकुमारजी द्वारा करवाया गया। राज्यपाल महोदय गुलाबचंद कटारिया व उनकी धर्मपत्नी अनिता कटारिया का परिचय अणुव्रत समिति कोलकाता की उपाध्यक्षा डॉ. सुनिता सेठिया ने प्रस्तुत किया। आभार ज्ञापन अणुव्रत समिति कोलकाता के मंत्री नवीन दूगड़ ने किया। अतिथियों का सम्मान अणुविभा व अणुव्रत समिति कोलकाता द्वारा दुपट्टा, साहित्य, मोमेण्टों, अणुव्रत आचार संहिता पट्ट व अमृत महोत्सव किट भेंट कर किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ व अंत में राष्ट्रगान का संगान किया गया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंदजी ने किया। कार्यक्रम से पूर्व अणव्रत की डोक्यूमेन्ट्री भी दिखाई गई। कार्यक्रम को सफल बनाने अणुव्रत समिति के कार्यकर्ताओं व संघीय संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। इस अवसर पर हावड़ा अणुव्रत समिति, सैंथिया अणुव्रत समिति की भी उपस्थिति रही। इस आयोजन के लिए अणुविभा द्वारा स्थानीय अणुव्रत समिति का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में अच्छी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।