प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन
शाहदरा, दिल्ली
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में शाहदरा सभा के तत्वावधान में प्रेक्षाध्यान प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन हुआ। प्रेक्षा-प्रशिक्षक रमेश कांडपाल ने प्रशिक्षण दिया।
साध्वी अणिमाश्रीजी ने उद्बोधन में कहा कि आनंद व शांति रूपी खजाने को प्राप्त करने की चाबी है- प्रेक्षाध्यान। ध्यान निज की खोज व निज की पहचान का पथ है। ध्यान आरोग्य लाभ का महामंत्र है। ध्यान के द्वारा व्यक्ति अपने भीतर ज्ञान की गंगा प्रवाहित कर सकता है। आधि, व्याधि और उपाधि के उपशमन का अमोघ मंत्र है- प्रेक्षाध्यान। प्रेक्षाध्यान के प्रयोगों के द्वारा व्यक्ति तनावमुक्त जीवन जी सकता है।
साध्वीश्री ने आगे कहा कि आचार्य महाप्रज्ञजी द्वारा अन्वेषित प्रेक्षाध्यान पद्धति के प्रयोगों से व्यक्ति जीवन के सभी क्षेत्रों में सफल हो सकता है। जरूरत है व्यक्ति अपनी जीवन रूपी प्रयोगशाला में इसे प्रायोगिक रूप देकर जीवन को सार्थक बनाए।
मुख्य प्रशिक्षक रमेश कांडपाल ने कहा- ‘आहार और स्वास्थ्य का गहरा संबंध है। जैसा भोजन करेंगे वैसा स्राव होगा। जैसा स्राव होगा, वैसा भाव होगा। जैसा भाव, वैसा स्वभाव, जैसा स्वभाव वैसा व्यवहार होगा। इसलिए भोजन को सुधारें, व्यवहार अपने आप प्रभावशाली बनेगा।’ प्रशिक्षक महोदय द्वारा बड़े ही रोचक ढ़ंग से आसन-प्राणायाम एवं कायोत्सर्ग का प्रशिक्षण दिया गया।
साध्वी मैत्रीप्रभाजी ने कार्यक्रम का संचालन किया। चन्द्रकला लुणिया, संतोष सेठिया, निर्मला बोथरा, सुमन सिंघी ने संयोजिकाओं के रूप में अच्छा श्रम किया। प्रेक्षावाहिनी की बहनों ने मंगल संगान किया।