पंचरंगी तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन

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पंचरंगी तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन

देवगढ़
साध्वी कार्तिकयशाजी के सान्निध्य मे पंचरंगी तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। साध्वीश्रीजी ने अपने उद्बोधन में फरमाया- ‘भारतीय संस्कृति में साध्य को महत्व दिया गया है। जैन धर्म का अंतिम साध्य है मोक्ष को प्राप्त करना। साध्य को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब साधन सक्षम हो। ज्ञान, दर्शन, चारित्र व तप यह चार साधन हैं, जिनके माध्यम से व्यक्ति अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।’ सर्वाधिक महत्वपूर्ण साधन तप के बारे में साध्वीश्रीजी ने कहा कि देवगढ़वासियों ने खूब मनोबल से तप के महत्व को समझा है और त्याग प्रत्याख्यान से इस पंचरंगी तप को सफल बनाया है।
देवगढ़ में साध्वी कार्तिकयशाजी की प्रेरणा से प्रारंभ से ही अनेक तपस्याओं का सिलसिला जारी है। इसी क्रम में साध्वीश्रीजी ने एक पंचरंगी तप का आह्वान किया था, लेकिन देखते ही देखते लोगों का उत्साह ऐसा बढ़ा कि आस्था दो पंचरंगियों में बदल गई। लगभग ७५ भाई-बहनों ने इस महायज्ञ में आहुति देकर इसे सफल बनाया है। तप अनुमोदना की शंृखला में विमल बोहरा, उत्तमचंद सुखलेचा, विकास मेहता, बसंतीलाल आच्छा, रेखा छाजेड़ ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वीवंृद द्वारा पंचरंगी तप का अनुमोदन किया गया। युवती व कन्या मंडल ने साध्वीवृंद के श्रम को लघु नाटिका द्वारा दर्शाया। संचालन अमिता पोखरना ने किया।