सम्बन्धों को मधुर कैसे बनाएं दम्पति शिविर
सिवानी
शासनश्री साध्वी कुंथुश्रीजी के सान्निध्य में तेरापंथी सभा के तत्वावधान में तेरापंथ भवन में दम्पति शिविर का आयोजन किया गया। मंगलाचरण महिला मंडल की बहिनों ने किया।
साध्वी कुंथुश्रीजी ने अपने उद्बोधन में उपस्थित जन समूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि दम्पति का अर्थ पति-पत्नी का जोड़ा। जोड़ा भाई-बहिन का भी होता है, सास-बहु का देरानी-जेठानी का भी होता है। यहां पति-पत्नी के जोड़े की चर्चा हो रही है। एक चक्के से गाड़ी नहीं चल सकती। एक तार से बल्ब नहीं जलता, एक हाथ से ताली नहीं बजती। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। एक व्यक्ति से सृष्टि का संचालन नहीं होता। अकेले पुरूष या अकेली स्त्री से न परिवार होता है न समाज होता है। जहां देह है, वहां संबंध होता है। जहां जोड़ पति-पत्नी का होता है, वहां तु-तु, मैं-मैं भी हो सकती है। प्रश्न है संबंधों को मधुर कैैसे बनायंे, साथी के साथ कैसे जीयंे। दाम्पत्य जीवन सुखी कैसे बने उसके कुछ टिप्स प्रस्तुत करते हुए साध्वीश्रीजी ने कहा कि पहला सूत्र अनाग्रह चेतना का विकास, दूसरा सूत्र संवेदनशीलता। दूसरे के दुःख-दर्द में सहानुभूति होनी चाहिये। तीसरा सूत्र सहनशीलता। एक दूसरे को सहन करंे एवं चौथा सूत्र परस्पर संवादिता। एक दूसरे के प्रति भरोसा, समय पर सहयोग एक दूसरे की रूचि भावना का सम्मान करना। इन सूत्रों को अपनाकर दाम्पत्य जीवन मधुर व सरस बनाया जा सकता है।
साध्वी सुमंगलाश्रीजी ने सकारात्मक दृष्टिकोण, कुशल व्यवहार व चरित्रनिष्ठ विषय पर सुंदर प्रस्तुतीकरण किया। साध्वी सुलमयशाजी एवं साध्वी सम्बोधयशाजी ने कार्यक्रम की तैयारी करवाने में अथक परिश्रम किया। कन्याओं ने रोचक प्रेरक एकांकी के द्वारा श्रोताओं को आकर्षित किया। सभाध्यक्ष रतनलाल जैन, अमित जैन, संजीव जैन, सुशील जैन, राजेश जैन, गोकुल जैन आदि ने कार्यक्रम का सफल बनाने में पूर्ण सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन प्रिया जैन ने किया।