सम्यक् दर्शन कार्यशाला के विविध आयोजन

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सम्यक् दर्शन कार्यशाला के विविध आयोजन

विजयनगर
विजयनगर बेंगलुरु में स्थित तेरापंथ सभा भवन में मुनि दीपकुमारजी के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् एवं समण संस्कृति संकाय के संयुक्त तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद् विजयनगर द्वारा सम्यक् दर्शन कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। मुनि काव्यकुमारजी ने ‘शरीर और आत्मा’ पुस्तक आधारित कार्यशाला की मुख्य अभिव्यक्ति दी। मुनि दीपकुमारजी ने कहा कि साधु-संत सन्मार्ग प्रदाता होते हैं। आध्यात्मिक मार्गदर्शन द्वारा व्यक्ति उन्मार्ग से सन्मार्ग की ओर गतिमान हो जाता है। सम्यक् दर्शन कार्यशाला द्वारा आचार्यश्री महाप्रज्ञजी की कृति ‘शरीर और आत्मा’ द्वारा आत्मवाद को समझने में सुगमता हो सकती है।
मुनि काव्यकुमारजी ने कहा राजा प्रदेशी का व्याख्यान आपने बहुत बार सुना है, जो बहुत ही क्रूर हिंसक राजा था, जिसके लिए कहा गया कि उसके हाथ हमेशा खून से लिप्त रहते थे। एक दिन वह भी आया जब वह व्रती श्रावक बन गया। केशी कुमार श्रमण, राजा प्रदेशी के मार्गदर्शक बने और उनमें रूपांतरण घटित हो गया। मुनिश्री ने इस कार्यशाला में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुड़कर इसका अध्ययन एवं स्वाध्याय करने की प्रेरणा दी। संयोजक पवन बैद ने कार्यशाला के बारे में जानकारी प्रदान की।