जैन विश्व भारती द्वारा आचार्य प्रवर के पावन सान्निध्य में समण संस्कृति संकाय के 23वें दीक्षान्त समारोह का भव्य आयोजन
नन्दनवन मुम्बई
परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी के पावन सान्निध्य में जैन विश्व भारती द्वारा समण संस्कृति संकाय का दीक्षांत समारोह 22 से 24 अगस्त 2023 को नंदनवन मुंबई में आयोजित हुआ। देश-विदेश के लगभग 220 क्षेत्रों से 525 व्यक्ति इसमें संभागी बने। 22 अगस्त का मध्यान्ह सत्र जैन विश्व भारती के आध्यात्मिक पर्यवेक्षक मुनि कीर्तिकुमारजी के दिशा निर्देशन में कार्यकर्ता सम्मेलन से आगाज हुआ। कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते हुए मुनिश्री ने टेक्नोलॉजी युग में इसका पूरा-पूरा उपयोग करते हुए जैन विद्या को घर-घर पहुंचाने एवं अधिक परीक्षार्थी तैयार करने की प्रेरणा दी। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अमरचंद लूंकड़ एवं महामंत्री सलिल लोढ़ा ने कार्यकर्ताओं का वर्ष में एक बार लाडनूं में निःशुल्क प्रेक्षाध्यान शिविर आदि अनेक घोषणाओं से उत्साहवर्धन किया। जैन विश्व भारती सहसंयोजिका प्रेमलता सिसोदिया एवं सम्यक् दर्शन कार्यशाला सहसंयोजक राजेश दूगड़ आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए।
रात्रिकालीन सत्र में कार्यकर्ताओं का सम्मान, जिज्ञासा, मोटिवेशन आदि का बहुत सुंदर कार्यक्रम आयोजित हुआ। उमेश सेठिया ने संबोधि ऐप के बारे में विस्तार से जानकारी दी। 23 अगस्त के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में ‘उत्तराध्ययन’ आगम पर आधारित आगम मंथन प्रतियोगिता की प्रश्न पुस्तिका का विमोचन आचार्यवर के सान्निध्य में हुआ। प्रवचन के पश्चात परम पूज्य गुरुदेव की सेवा का अवसर संकाय परिवार को मिला। जैन विश्व भारती के महामंत्री सलिल लोढ़ा, जैन विद्या संयोजक डॉ0 विजय संचेती, सम्यक् दर्शन कार्यशाला संयोजक पुखराज डागा, आगम मंथन सहसंयोजिका मंगला कुंडलिया, ऑनलाइन स्वाध्याय सहसंयोजक राजेन्द्र बैंगानी, साहित्य मंथन प्रतियोगिता सहसंयोजिका प्रेम सेखानी ने समण संस्कृति संकाय द्वारा संचालित अलग-अलग गतिविधियों के बारे में जानकारी दी। मुनि कीर्तिकुमारजी ने जैन विश्व भारती परिसर में जैन विद्या कार्यशाला का प्रतिमाह आवासीय आयोजन कराने की स्वीकृति प्रदान कराने हेतु आचार्यप्रवर से निवेदन किया। परम पूज्य गुरुदेव ने फरमाया कि जैन विश्व भारती के नाम को समण संस्कृति संकाय मानो अच्छे रूप में सार्थक करने वाला आयाम है। जैन विद्या का ज्ञान एवं साहित्य का अच्छा प्रचार-प्रसार का कार्य समण संस्कृति संकाय के द्वारा किया जा रहा है।
मध्यान्ह का सत्र चारित्रात्माओं के उद्बोधन एवं प्रेरणा का सत्र रहा। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी ने अपने वात्सल्यपूर्ण उद्बोधन में अनेकों प्रेरणाएं प्रदान की, जिसमें मुख्यतः विज्ञ उपाधि प्राप्त करने वाले को आगे अन्य जैनोलॉजी के कोर्स एवं जैन विद्या का अध्यापन कराने के लिये प्रेरणा प्रदान की। मुनि कीर्तिकुमारजी ने संकाय के सभी आयामों की ओर गति देने एवं उपयोग करने के लिए कहा। मुनि जितेन्द्रकुमारजी ने आगम मंथन प्रतियोगिता की उपयोगिता के बारे में विस्तार से बताया। मुनि अभिजीतकुमारजी एवं मुनि जागृतकुमारजी ने सम्यक् दर्शन कार्यशाला के अंतर्गत आचार्यप्रवर के साहित्य को पढ़ने एवं सम्यक् दर्शन के बारे में विस्तार से बताया। रात्रिकालीन सत्र में जैन विद्या से समायुक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें अनेकों प्रतिभाशाली कार्यकर्ताओं एवं प्रतिभागियों ने उत्साह के साथ भाग लिया।
दीक्षांत समारोह का मुख्य कार्यक्रम मध्यान्ह मंे परम पूज्य गुरुदेव के सान्निध्य में आयोजित किया गया। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष अमरचंद लूंकड़, नवरतन बच्छावत एवं धर्मेन्द्र महनोत ने अपने विचार प्रस्तुत किए। देेश-विदेश से समागत 220 विज्ञ उपाधि धारक, 39 जैन विद्या वरीयता प्राप्त, 34 सम्यक् दर्शन कार्यशाला टॉपर, 15 आगम मंथन प्रतियोगिता विजेता एवं 04 साहित्य मंथन प्रतियोगिता विजेता को परम पूज्य गुरुदेव के सम्मुख गणमान्य व्यक्तियों द्वारा मोमेंटो से सम्मानित किया गया। कीर्ति बेंगानी, संगीता चपलोत एवं तरूणा बोहरा ने संचालन का दायित्व निभाया। पुखराज डागा ने पूज्यवर के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। पूज्यवर ने जैन विद्या को और विस्तार देने के लिए प्रेरणा प्रदान की। त्रिदिवसीय दीक्षांत समारोह का समापन संकाय विभागाध्यक्ष मालचंद बेंगानी एवं दीक्षांत समारोह संयोजक प्रवीण सुराणा के द्वारा कार्यकर्ताओं विशेषतः प्रेमलता सिसोदिया, विमला डागलिया, रमेश डागलिया आदि को साधुवाद देकर किया गया। परम पूज्य गुरुदेव ने फरमाया कि जैन विश्व भारती का समण संस्कृति का यह आयाम एक व्यापक आयाम है।