जन्मदाता शक्ति का शिवालय और ममता का महालय
सिकन्दराबाद
तेरापंथ भवन, सिकन्दराबाद में रविवारीय विशेष पारिवारिक कार्यशाला ‘महिमा जन्म दाता की’ के श्रवण हेतु उपस्थित जन समुदाय को सम्बोधित करते हुए साध्वी डॉ0 मंगलप्रज्ञाजी ने कहा- ‘जैन आगम साहित्य में उल्लेख मिलता है- माता-पिता, भर्ता यानि पोषक और धर्माचार्य -इन तीन उपकारकों का ऋण कभी चुकाया नहीं जा सकता। प्रासंगिक विषय ‘महिमा जन्मदाता की’ के संदर्भ में उन्होंने कहा- संसार में प्रथम संबंध माता-पिता के साथ होता है। जन्मदाता-शक्ति का शिवालय, वात्सल्य का देवालय और ममता का महालय होता है, जो संतान के लिए सब कुछ सौंप देते हैं। जन्मदाता परिवार रूपी बगीचे को सिंचन और छांव देकर पवित्र संरक्षक की भूमिका निभाते हैं। जन्मदाता ऐसे होते हैं जो अपने स्वप्नों की परवाह किए बिना अपने संतान का हर स्वप्न पूरा करने का प्रयास करते हैं।’
साध्वीश्रीजी ने उपस्थित परिषद् को प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि ममता के सागर को भूले नहीं। यदि कृतज्ञ न बनें तो क्रूर भी न बनें। जिंदगी भर मां-बाप आपके लिए ए.टी.एम. कार्ड बने रहे, कम से कम बुढ़ापे में आप आधार कार्ड अवश्य बनें। उनकी उपेक्षा न करें। उनका सहारा बनने की बजाय, भारभूत मानना मानवीय अपराध है। आवश्यकता है सम्पूर्ण जैन समाज अपने परिवारों में सद्संस्कारों का बीजारोपण करें। साध्वी डॉ. चैतन्यप्रभाजी के पार्श्व स्तवन से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। गायक युगल नवीन एवं नवनीत छाजेड़ ने मधुर भावपूर्ण संगान किया। तेरापंथ महिला मंडल की बहिनों ने लघु नाटिका का सुन्दर प्रदर्शन किया। साध्वीवृंद ने समवेत स्वरों में ‘जन्मदाता की महिमा क्या गाएँ’ गीत का संगान किया। साध्वी सुदर्शनप्रभा ने मंच संचालन किया।